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*प्रशासन सो रहा है लेकिन विकास हो रहा है?*

आम आदमी मंहगाई के बोझ को ढो रहा है,गरीब शोषण के मारे रो रहा है,प्रशासन सो रहा है, उस पर फिर भी ये दावा की विकास हो रहा है!यह तो मेरे शहर में ही हो सकता है! भ्रष्टाचार की दीमक से खोखले हो चुके प्रशासन से आप उम्मीद भी क्या कर सकते हैं?

जिले के विभिन्न अंचलों में हालात अमूमन एक जैसे ही है! अनेक स्कूल जर्जर हालत में है, कितनी ही आंगनबाड़ियाँ हैं जो महज कागजों पर चल रही है, कितने ही शौचालय उपयोग के योग्य ही नहीं बचे हैं,कितने ही फर्जी शिक्षक स्कूलों में पढ़ा रहे हैं ,गांजा,पाउडर, कच्ची शराब,जुआ, सट्टा गली गली में पैर पसार रहा है, महिलाओं और निचले तबके पर अत्याचार बढ़े हैं,सरकारी राशन में हेर फेर से लेकर गौ शाला के भूसे तक को साफ कर दिया गया!

अनगिनत शिकायतें सरकारी बाबुओं की टेबल पर पड़ी धूल फांक रही हैं!लोग जगह जगह पर धरने प्रदर्शन के माध्यम से अपने आक्रोश और विरोध को व्यक्त कर रहे हैं!गरीब की सुनवाई नहीं हो रही है! नेताओं की संपत्ति दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ रही है! अपराधी नौकरशाहों से हाथ मिला रहे हैं! नेताओं के चमचे अतिक्रमण और अवैध और अति रेत खनन कर रहे हैं?क्या यही है विकास की असली तस्वीर?

और जहां तक ग्राम पंचायत स्तर पर आर्थिक अनियमितताओं की बात है तो यह स्पष्ट है कि,अधिकारियों के इशारे और मिलीभगत के जरिए ही पंचायत में गबन होता है!

यह बात और है कि मीडिया के सवालों और सुर्खियों में सरपंच,सचिव और जीआरएस ही होते हैं! अब ऐसे में आप मीडिया से भी ज्यादा उम्मीद कैसे कर पाएंगे, जबकि मीडिया को खुद ही कोई उम्मीद दिखाई न देती हो?क्या आप लोगों ने खबरों और खबरों के पैटर्न पर गौर नहीं किया? करके देखिए सब समझ जायेगे!इतने समझदार तो आप होंगे ही,इसमें कौन सा रॉकेट साइंस समझना है?

अब या सब गोलमाल सिर्फ पंचायत में ही हो जाता है ऐसा थोड़े ही है, म्हारे शहर की नगर पालिका भी ग्राम पंचायतों से कम है के? अब बात आर टी आई में दब जाए तो इसमें किसी का क्या दोष? बाकी जानने वाले तो सब जान ही रहे हैं!कचरे की गाड़ी फिर उसका ईंधन और सफाई कर्मियों का वेतन ,  , ,फिर भी शहर में है सुशासन?

रही बात खाद्य विभाग की तो खाद्य विभाग के ही हाल देख लो! मिलावटी वस्तुएं बाजार में बिक रही है, एक्सपायरी डेट की सामग्रियों को डेट मिटाकर ग्राहकों को थमा दिया जाता है,फूड स्टाल पर न शुद्ध पेयजल मिलता है और ना ही साफ सफाई! ढाबे से रेस्त्रां तक घरेलू गैस सिलेंडर का व्यवसायिक इस्तेमाल किया जा रहा है लेकिन खाद्य विभाग के पास खाने के अलावा कोई और काम नहीं है?

कलेक्टर और एसपी को भी शहर में फुटपाथ पर दुकानदारों का कब्जा नहीं दिखाई दे रहा है? आए दिन सड़क हादसों में लोग घायल हो रहे हैं लेकिन पैदल चलने वालों को फुटपाथ पर चलने ही नहीं दिया जाता है!दुकानदारों के अतिक्रमण से राहगीर परेशान हो रहे हैं! अकेले हेलमेट लगाने से दुर्घटनाएं नहीं रुकने वाली,सड़कों को अतिक्रमण मुक्त किया जाना भी जरूरी है!

जारी:





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