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*नरसिंहपुर एक ऐसा शहर जिसे बेहद ही कम पढ़ा और समझा गया?*

किसी शहर को जानने के लिए सिर्फ वहां के नागरिकों को जानना ही पर्याप्त नहीं होता!आपको वहां की संस्कृति,धार्मिक वैचारिक स्थिति, दैनिक जीवन जीने के तौर तरीके, भौगोलिक स्थिति, पौराणिक कथाओं इत्यादि को भी प्रमुखता से जानना समझना होता है।

यह किसी पिकनिक स्पॉट,किसी प्रसिद्ध धार्मिक स्थल,या पार्क को जानने समझने जैसा नहीं है!एक शहर अपने आप में एक चलती फिरती दुनिया है!यहां हर किरदार अपनी जिंदगी का नायक है!

आज भले ही शहरी विकास ने कस्बाई सुंदरता को निगल लिया हो लेकिन आधुनिक चमक दमक और चकाचौंध में डूबे शहर का अतीत आपको अहसास दिलाता है कि आप समृद्ध ऐतिहासिक विरासत के साक्षी हो!

चंद किलोमीटर में किसी शहर को नाप लेने का नजरिया सिर्फ प्राकृतिक नजरों के सौंदर्य दर्शन तक ही सिमट कर रह जाता है! वह शहर जो अतीत के महान गौरव का साक्षी रहा है,आप उसे सहजता से समझ लेने का दावा नहीं कर सकते हैं।

क्या आपने महसूस किया है कि,स्थानीय स्तर पर बोली जाने वाली भाषा अब विलुप्त होती प्रतीत हो रहीं हैं!सभ्यता के आधुनिक चलन में एक शहर अपनी भाषाई पहचान खोते शहर के दर्द को कितना समझा जा सकता है?

देखिए राजनैतिक और मीडिया के चश्में से आप किसी शहर को समझने, जानने का दावा करते हैं तो यह अधूरे सच के समान होगा। मीडिया और राजनीति तात्कालीन घटनाक्रमों को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं लेकिन जब बात शहर को जानने समझने की हो रही हो तब भी यह कुएं में समंदर समाने के जैसा है! किसी शहर को एक निश्चित दायरे में रखकर समझना, शहर के बाकी हिस्सों के साथ नाइंसाफी होगी!

गोटेगांव की अपनी खूबसूरती है तो गाडरवारा के वनों का अपना ही सौंदर्य है,बरमान पौराणिक गाथाओं के चलते प्रसिद्ध है तो केरपानी के किलों का अपना इतिहास है।बितली की पहाड़ी मैहर की याद दिलाती है तो राजा बाबू सरकार तक पहुंचना भी किसी एडवेंचर से कम नहीं,चौगान मराठाओं और अंग्रेजों के संघर्ष की याद दिलाता है तो रानी दहार (गाडरवारा) रानी के बलिदान को याद दिलाता है, आप करेली में हों या सहावन में मिलनसारिता आपको यहां कदम कदम पर महसूस होगी!

ऐसे और भी अनेकों किस्से कहानियां है जो इस शहर के अतीत को अपने आप में समेटे हुए हैं! संस्कृति की भिन्नता ने इस शहर की खूबसूरती में चार चांद लगा दिए हैं!आप शादी समारोह के आयोजन की ही बात करें तो प्रत्येक समुदाय के अपने तौर तरीके हैं,अपने अंदाज और रीति रिवाज है!प्रत्येक समुदाय की अपनी समृद्ध संस्कृति है जो विवाह जैसे आयोजन को अपने ही रंग में रंगे हुए है!

जारी: 




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