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🌸 मध्य प्रदेश स्थापना दिवस विशेष लेख 🌸

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"धरती से दिल तक – यह है हमारा मध्य प्रदेश"

1 नवंबर 1956 — यह तारीख सिर्फ एक प्रशासनिक बदलाव नहीं, बल्कि इतिहास के पन्नों पर दर्ज एक भावनात्मक आरंभ थी। इसी दिन भारत के मानचित्र पर “मध्य प्रदेश” नाम से एक ऐसा राज्य अस्तित्व में आया जो आज पूरे देश के लिए संस्कृति, संतुलन और सौहार्द का प्रतीक बन चुका है।

भारत के हृदय में बसा यह प्रदेश अपने भीतर अनगिनत विविधताओं को समेटे हुए है। यहां की मिट्टी में इतिहास की खुशबू है, नर्मदा की लहरों में आस्था की गूंज है, और लोगों के स्वभाव में अपनापन और सरलता है। इसलिए मध्य प्रदेश को यूं ही नहीं कहा जाता — “भारत का दिल”

“नर्मदा की घाटी से लेकर मालवा की पहाड़ियों तक,
सांची के स्तूपों से लेकर खजुराहो की मूर्तियों तक —
मध्य प्रदेश एक प्रदेश नहीं, एक जीवंत परंपरा है।”

🔹 ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान

इस भूमि ने कई सभ्यताओं को जन्म लेते देखा है। भीमबेटका की गुफाएँ मानव सभ्यता के सबसे पुराने निशान संजोए हैं। उज्जैन की धरा ने कालिदास जैसे कवियों को जन्म दिया, और खजुराहो के मंदिरों ने भारतीय कला को विश्व मानचित्र पर स्थापित किया। यहाँ का इतिहास गोंड, चंदेल, होल्कर, सिंधिया और कलचुरी जैसे शासकों की वीरता और न्यायप्रियता की कहानियों से भरा है।

🔹 विकास की नई दिशा

आज का मध्य प्रदेश केवल ऐतिहासिक नहीं, बल्कि उन्नति की दिशा में अग्रसर राज्य है। कृषि से लेकर उद्योग तक, शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य तक — प्रदेश ने बीते वर्षों में नए कीर्तिमान बनाए हैं। स्मार्ट सिटी मिशन, नर्मदा घाटी परियोजना, सौर ऊर्जा के नए प्रयोग, और सड़क कनेक्टिविटी के विस्तार ने मध्य प्रदेश को आधुनिक भारत की गति में शामिल कर दिया है।

ग्रामीण अंचलों में स्व-सहायता समूहों की भूमिका, महिला सशक्तिकरण योजनाएँ और युवाओं के लिए स्वरोज़गार के अवसर इस राज्य को आत्मनिर्भरता की ओर ले जा रहे हैं। यही वह दिशा है जहाँ *‘दिल का प्रदेश’* अब *‘विकास का प्रदेश’* बन रहा है।

🔹 कला, बोली और आत्मा

मध्य प्रदेश की असली पहचान उसकी संस्कृति और बोलियों में है। मालवी, बघेली, निमाड़ी, बुंदेली, गोंडी और छत्तीसगढ़ी जैसी दर्जनों बोलियाँ यहाँ बोली जाती हैं — और हर बोली में अपनापन झलकता है। यहाँ के लोकनृत्य “राई”, “भवाई”, “सुआ” और “गौर नाच” गाँवों की आत्मा हैं। जनजातीय पर्व मढई, भगोरिया और तीज-त्योहार इस धरती को रंगीन बनाए रखते हैं।

“यहाँ त्योहार सिर्फ मनाए नहीं जाते, यहाँ हर दिन जीवन का उत्सव बन जाता है।”

🔹 भविष्य की ओर कदम

जब हम आज मध्य प्रदेश के 70वें स्थापना दिवस पर खड़े हैं, तो हमें यह याद रखना चाहिए कि यह यात्रा अभी पूरी नहीं हुई है। प्रदेश की असली शक्ति गाँवों, किसानों, शिक्षकों, पत्रकारों और युवाओं में है। आने वाले समय में यह जरूरी है कि विकास के साथ-साथ पर्यावरण, शिक्षा और पारदर्शिता को भी समान महत्व मिले।

हर नागरिक अगर अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभाए — तो यह राज्य न केवल भारत का दिल रहेगा, बल्कि उसकी धड़कन भी बन जाएगा। यही सच्चा सम्मान होगा इस भूमि के प्रति।

💐 मध्य प्रदेश अमर रहे, आगे बढ़े, उज्जवल बने 💐

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