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मढ़ई मेले में उमड़ा जनसैलाब, गाते-नाचते ग्वाल टोली, टोरमा बोल, ढाल-ढ़ोल बने आकर्षण का केंद्र
गाडरवारा। ग्राम आडेगांव कला — जो साईखेड़ा जनपद और गाडरवारा विधानसभा के अंतर्गत आता है, में परंपरागत मढ़ई मेले का आयोजन धूमधाम से किया गया। करीब तीन हजार की आबादी वाले इस ग्राम में यह मेला वर्षों पुरानी परंपरा के अनुसार आयोजित किया जाता है।
इस मेले की शुरुआत ग्राम के पूर्वज मनीराम भोई बाबा के पुत्र जगदीश भोई ने की थी। वर्तमान में इसका आयोजन भोई परिवार के मंगल सिंह एवं सर्वेश भोई द्वारा किया गया। आयोजन में आदिवासी समाज, अहिरवार समाज सहित ग्राम के सभी सहयोगियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।
मेले का आयोजन परंपरागत रूप से माता मोहल्ला में किया जाता है, जहां ग्रामवासी अपनी एकता और आपसी सामंजस्य का परिचय देते हैं। हर वर्ष की तरह इस बार भी दूज और दशमी के दिन यह मेला आयोजित हुआ।
मेले में डूंगरिया, ढींगसरा, खमरिया, पिटवानी, नांदनेर, दहलवाड़ा, बेलखेड़ी, खेरुआ, मोहपा, सहावन, केसला, पनागर, ढाना, सांवरी, पोडार, चौराहा, आमढाना आदि ग्रामों से बड़ी संख्या में लोग पहुंचे।
🎶 लोक संस्कृति और नृत्य की झलक
मेले का मुख्य आकर्षण रही ग्वाल टोली और उनका पारंपरिक नृत्य। ढालें मोर पंखों से सजी होती हैं और इनके ऊपर बनी छतरी को कमर पर बांधकर नृत्य किया जाता है। इनके साथ गाजे-बाजे और टोरमा बोल गूंजते हैं, जिनकी भाषा और लय स्थानीय लोक संस्कृति का जीवंत उदाहरण है।
🛍️ मेले की रौनक और बाजार
मेले में स्थानीय ग्रामीणों ने छोटी-छोटी दुकानें लगाईं, जिन पर खाने-पीने की वस्तुएं, ऋतुफल, महिलाओं के श्रृंगार सामग्री और बच्चों के खिलौनों की बिक्री हुई। साथ ही, स्थानीय मिठाइयों की भी जोरदार बिक्री रही।
🤝 सामाजिक एकता और मान्यता
मेला सामाजिक एकता का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि ग्यारस की मढ़ई के बाद समाज में वैवाहिक और शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। आयोजन में ग्राम के मुख्य गुनिया-पांडा, सरपंच प्रतिनिधि, वरिष्ठ नागरिकों का सम्मान किया गया।
🚨 मेले स्थल पर बढ़ता अतिक्रमण बना परेशानी का कारण
"ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम के प्राचीन तालाब, पंचायत भवन, अंबेडकर भवन, माता स्थल और नल-जल टंकी के आसपास अवैध कब्जे बढ़ते जा रहे हैं, जिससे मेले में आने वाले लोगों को परेशानी होती है।"
ग्रामवासियों ने निर्णय लिया है कि वे शीघ्र ही स्थानीय विधायक एवं मंत्री राव उदय प्रताप सिंह से मुलाकात कर इन अतिक्रमणों को हटाने की मांग करेंगे ताकि आगामी वर्षों में इस परंपरागत मेले को और भव्य रूप दिया जा सके।
