*महिला सरपंच जो,मजदूरी करके रिकवरी की राशि को चुकाने के लिए मजबूर!*
।। वीएचना।।
कभी पति कुर्सी पर काबिज रहा तो कभी सचिव ने कमांड अपने हाथ में ले ली और कभी गांव के ही किसी दबंग ने दबंगई से पंचायत को अपने मन के मुताबिक चलाया।
अधिकारियों की मिलीभगत और सांठगांठ से सरकारी राशि में जमकर हेर फेर की। अधिकतर तो अधिकारियों ने ऐसे मामलों को दबाना ही मुनासिब समझा लेकिन जब कभी किसी मामले में कार्यवाही करनी भी पड़ी तो या तो ग्राम रोजगार सहायक को निशाना बनाया और पद से प्रथक कर दिया गया या फिर महिला सरपंच के मत्थे रिकवरी पटक दी।रिकवरी न देने पर सलाखों के पीछे भी जाना पड़ा। इसके अनेकों उदाहरण आपको मीडिया में देखने, सुनने को मिल जाएंगे!
अब सवाल यह है कि,आखिर कब तक महिला सरपंच रिकवरी और सलाखों के खौफ के साए में जीती रहेंगी? कब तक इन महिला सरपंच के पद और पावर का दुरुपयोग किया जाता रहेगा? कैसे बचेंगी महिला सरपंच रिकवरी और सलाखों के शिकंजे से? कब तक करे कोई भरे कोई की तर्ज पर महिला सरपंच सजा भुगतती रहेंगी?
महिला सरपंचों को रिकवरी और सलाखों की इस साजिश को समझना ही होगा!ऐसी कितनी ही महिला सरपंच हैं, जो सजा की हकदार बनी!जबकि गुनाह उन्होंने किया ही नहीं! मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आज भी ऐसी अनेक महिला सरपंच हैं जो,मजदूरी करके रिकवरी की राशि को चुकाने के लिए मजबूर हैं!
इन पीड़ित महिला सरपंचों के हित में आवाज उठाए कौन? भले ही महिला सशक्तिकरण का नारा लगाया जा रहा है लेकिन हकीकत तो यह है कि,आज भी महिलाएं दोयम दर्जे का जीवन जी रही हैं!
आज एक महिला सरपंच को फिर रिकवरी चुकाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा या फिर रिकवरी न चुकाने के एवज में जेल की सलाखों के पीछे जाना भी पड़े तो यहां परवाह किसे हैं!
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