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*अकेली रहती है, ट्राई मारकर देखते हैं?*

आज भी एक औरत व्यवसायिक क्षेत्र में उसके साथ के सहकर्मियों का लिये एक मौके से कम नही होती जब वो उसके रहन सहन बातचीत स्वभाव को इस तरह जज करने लगते है जैसे मानो यह स्त्री एक सामान्य महिला न होकर कोई चरित्रहीन स्त्री है। हर नजर बस औरत के जिस्म के इर्द गिर्द घूमती हुई लगती है!

यह तो कार्य स्थल की बात हुई,लेकिन घरों में भी एक औरत का जीवन बस सेक्स के नजरिए से देखा जाए तब क्या एक स्त्री अपना सामान्य जीवन जी सकती है?कहते हैं की, पति-पत्नी का रिश्ता प्यार और विश्वास पर टिका होता है। इसके बिना रिश्ते को आगे बढ़ाना बहुत मुश्किल होता है।आज भी अनेकों महिलाएं बंद कमरे में पति की मार खाती हैं और बाहर किसी को कुछ पता नहीं चलने देतीं। महिलाएं शादी बचाने और बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए पति की ज्यादतियां सहती हैं।

जब औरत दर्द और जख्मों से आहत होती है, उस समय भी परिवार और समाज का पुरुष वर्ग इमोशनल सपोर्ट के नाम पर उनके करीब आना चाहता है,ताकि औरत के शरीर का सुख भोग सके!यह प्रेम तो कतई नहीं है, हां प्रेम के नाम पर अपनी वासना की पूर्ति जरूर कह सकते हैं!

जब औरत को अपने चंगुल में ना फसा सके तो अकेली स्त्री का किसी पुरुष से बात करने भर से उसके कुलटा या चरित्रहीन होने का प्रमाण पत्र जारी कर पुरुष प्रधान समाज अवेलेबल होने का टैग लगा देता है।

एक औरत अपनी जिंदगी अपनी मर्जी से नही जी सकती है, खोखली, बेबुनियादी रूढ़ियों और परंपराओं के नाम पर सुनहरी जंजीरों से जकड़ा जाता है,और जब कोई औरत अपनी जिंदगी को खुलकर जीना चाहती है तब उस पर तरह तरह के इल्जाम लगाकर उसे नीचा दिखाया जाता है।

और फिर पितृसत्तात्मक मानसिकता से ग्रस्त पुरुष प्रधान समाज कहता है की, कई जगह मुँह मारने की आदत रही होगी इसलिये पति से नही पटी,इसलिए घर से अलग रहती है,या फिर पति से रिश्ते ठीक नही है,लेकिन एक औरत के दिल पर क्या गुजर रही होती है ,इससे किसी को कोई लेना देना ही नही है,बस औरत अपना जिस्म सौंप दे तो सब ठीक?इतना ही नही अगर किसी औरत को अकेला रहना पड़े तब तो आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते है कि, उस औरत के बारे में क्या राय बनाई जाती है!

अकेली रहती है, सेक्स की जरूरत तो होगी ही,आओ इस पर ट्राई मारते हैं,कोई शक ही नही करेगा।अगर बाहर रहकर पढ़ाई करती है तब कहा जाता है की,बाहर रहकर पढ़ी है मतलब घाट-घाट का पानी पी हुई है। कैरेक्टरलेस है, जरा सा कोशिश करते ही पट जाएगी,आखिर ऐसी लड़कियों का क्या? जे लड़की या औरत शहर में रहती है मतलब खुली होगी।मेट्रो सिटीज़ में रहने वाली लड़कियां तो बहुत खुली होती हैं, पता नहींकितनों के साथ सो जाएं!

ऐसे पुरुषों के हिसाब से खुली लड़की या औरत मतलब सेक्स के लिए तैयार? गांव की लड़कियों के लिए भी क्या राय बनाई जाती है, एक नजर इस पर भी डाल लीजिए।गाँव की है, सीधी होगी मतलब इसको आसानी से बेवकूफ़ बनाकर यूज़ कर सकते हैं।लड़की या औरत शहर की हो या गांव की केंद्र में हमेशा सेक्स ही है! ब्रेकअप हो गया है। मतलब रोती लड़की को विश्वास देकर सेक्स की जुगाड़ की जा सकती है।पहले बॉयफ्रेंड ने चीट किया। मैं ऐसा नहीं हूँ दुनिया से अलग हूँ कहने वाला भी दोस्तों के बीच शेखी बघारते हुए कहता है की, यार चीट हुई लड़कियों को यूज़ करना औऱआसान है।

नीच जात की है यार ये छोटी जातियां होती बहुत बेवकूफ़ हैं। मैं जाति को नहींमानता, शादी करूँगा बस इतने में तो तन-मन-धन से समर्पित हो जायेंगी,कहने वाले लोगों के लिए औरत का शरीर और सेक्स ही मुख्य होता है!सेल्फ डिपेंड है इमोशनल फूल बनाकर अय्याशी करने का बढ़िया ऑप्शनहै।तलाकशुदा है,काली है,स्कूल में पढ़ती है, क्या लग रही है,बस एक बार सेट हो जाए, जन्नत का मजा आ जायेगा!

पितृसत्तात्मक पुरूष प्रधान समाज की इस मानसिकता में सेक्स ही केंद्र है!औरत का जिस्म लोगों के लिए एक खिलौने से ज़्यादा कुछ नहीं होता, जिसे नोचकर कर ही उन्हें चरम सुख मिलता है?कुछ को इसमें चरम सुख मिल सकता है?


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