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*इस शहर में हर अपराध जायज है लेकिन आवाज उठाना जुर्म?*

*अवैध रेत उत्खनन करना हो या फिर सागौन की अवैध बिक्री करनी हो, गांजा बेचना है या फिर कच्ची शराब और पाउडर, सट्टा खिलाना हो या फिर जुआ, मिलावटी खाद्य सामग्री बेचना हो या फिर गांव में बिना डिग्री के डॉक्टरी करनी हो, देह व्यापार का कारोबार करना हो या फिर जमीनों पर अतिक्रमण या फिर बिना सरपंच बने पंचायत चलानी हो, इस शहर में आप इनमें से कोई भी काम कर सकते हैं, वह भी बेधड़क बिना किसी के रोके टोके?

और इन सभी कामों के लिए आपके पास सिर्फ एक योग्यता होनी चाहिए!कमीशन सेट करने की कला! आपने भी बॉलीवुडिया फिल्मों में बहुत बार यह डायलॉग सुना ही होगा कि,हर इंसान की कीमत तय है सिर्फ सही बोली लगाने वाला हो!

तंत्र के कारिंदों को भी मिठाई, लिफाफा और कमीशन बेहद ही पसंद है, रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार की बढ़त इसका जीता जागता उदाहरण है! अब ऐसे में जब सैयां भए कोतवाल तो फिर डर काहे का! लिफाफा हाथ में लेते ही इन कारिंदों की मुस्कुराहट देखकर ही यह प्रतीत होता है जैसे वे कहना चाह रहे हों कि,जा सिमरन तू भी जी ले अपनी जिंदगी!

रही बात गरीब की तो बेचारा अपने रिश्तेदार की शादी में ही लिफाफा नहीं दे पाता है तो फिर इन तंत्र के कारिंदों को कहां से दे!और शिकायत करेगा भी तो किससे? जब चोर चोर मौसेरे भाई हों!

और फिर जो आवाज उठेगी उसे दबा ही दी जाएगी! क्यों की यहां मुंह खोलना जुर्म है,आवाज उठाना गुनाह!जब लाखों लोग जब मियां बीबी राजी तो क्या करेगा काजी की तर्ज पर अपराध और तंत्र के इस गठबंधन पर चुप्पी साधे बैठे हों तब चंद मुट्ठी भर लोग कर भी क्या लेंगे?

इसलिए यदि इस शहर में बेरोजगारी से बचना है तो अपनी शैक्षणिक योग्यता के साथ ही कमीशन सेट करने की कला को भी निखारते रहिए, क्यों की अगर आपने कमीशन सेट करना सीख लिया तो आप किसी को भी सेट कर सकते हो!

हां लेकिन भूलकर भी आवाज उठाने का गुनाह मत करना! क्यों की ये वो संगीन गुनाह है, जिसकी कोई माफी नहीं! आवाज उठाओगे तो रक्षक ही भक्षक बन जाएगा! क्या करे उसकी भी मजबूरी है!और फिर लिफाफा तो सबके लिए ही जरूरी है! क्यों की जब सब खुश होंगे तभी तो यह शहर स्वर्ग बन सकेगा, , अपराधों का स्वर्ग?

।। समीक्षा।। रविवारीय विशेषांक।।


 





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