*जब अपने पति से डरना पड़ता है पत्नी को?: मेरिटल रेप की शिकार,लाचार?*
।। रविवारीय विशेषांक।।
*निजता और गोपनीयता नीति नियमों के तहत स्थान और पात्रों के नाम को परिवर्तित कर दिया गया है*
पति पत्नी का रिश्ता प्रेम ,विश्वास और सम्मान की बुनियाद पर आधारित है। एक दूसरे की भावानाओं का सम्मान किए बिना सफल वैवाहिक जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है! जब यौन संतुष्टि यौन हिंसा में तब्दील हो जाए तब पति पत्नि के सफल वैवाहिक जीवन को समाप्त होने में समय नहीं लगता है!
लेकिन क्या होता है जब जीवनसाथी ही आपकी भावनाओं का अगर सम्मान ना करे और जबरन अपने साथी पर अपनी इच्छाएं थोपे?
समय के साथ अपने अधिकारों को लेकर महिलाओ के विचारों में क्रांतिकारी बदलाव आया है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है।महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति ना सिर्फ जागरूक हुई हैं बल्कि आज हर मुद्दे पर बेबाकी के साथ अपनी राय साझा कर रही है। मेरिटल रेप को लेकर भी महिलाओ ने खुलकर अपनी बात सामने रखी।
क्या पत्नी की कोई मर्ज़ी नहीं होती? दांपत्य जीवन में सेक्स को प्यार जताने का ज़रिया माना गया है, मगर जब ये वहशियाना रुख़ अख़्तियार कर ले तब क्या होता है?
नीलिमा कहती हैं कि, वैवाहिक बलात्कार घरेलू हिंसा का विभत्स चेहरा है। दरअसल नीलिमा को आए दिन ही वैवाहिक बलात्कार का दंश सहना पड़ता है। यह उसके लिए एक ऐसी खौफनाक सजा है,जिसके बारे में वह चाहकर भी किसी को नही बता सकती हैं। एक दो बार मां से बताने की कोशिश भी की,लेकिन उन्होने भी यह कहकर टाल दिया की, पति पत्नी के बीच यह सब तो चलता है! तब से नीलिमा अंदर से काफी टूट चुकी है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि,वैवाहिक बलात्कार से आशय पत्नी की सहमति के बगैर उसे यौन संबंध बनाने के लिये विवश करने से है। ऐसे कृत्य अन्यायपूर्ण होते हैं। हालाकि लोकलाज के चलते इस तरह के अनेक दर्दनाक किस्से घर की चार दिवारी में घुटकर खत्म हो जाते हैं।
पितृ सत्तात्मक पुरूष प्रधान समाज की सोच यह है की,एक पुरुष और एक महिला के बीच विवाह का अर्थ है कि दोनों ने संभोग के लिये सहमति दी है और इसका कोई दूसरा अर्थ नहीं है। यह प्रतिगामी कानून पुरातन पितृसत्तात्मक धारणा पर आधारित है कि एक महिला विवाह में प्रवेश करने के बाद अपरिवर्तनीय रूप से यौन संबंध के लिए सहमति देती है।
वैसे तो कानूनन गैर-सहमति से किया गया संभोग शारीरिक और यौन हिंसा के समान है लेकिन ऐसा प्रतीत होता है जैसे यह दोहरे मापदंड पर आधारित है!भारत समेत 34 देश ऐसे हैं जहां पत्नी से रेप करने वाले पति को समाज के साथ कानून भी दोषी नहीं मानता है!
संगीता ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि, पति 'अप्राकृतिक संबंध' बनाता है और उसके साथ मौखिक और शारिरीक रूप से दुर्व्यवहार करता है, इस पीड़ा का अंत नहीं है।विवाहित महिलाओं को यौन संबंध बनाने का समय चुनने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।
38 वर्षीय गृहणी राधिका का कहना है कि, डर लगता है ऐसे प्यार से,जहां औरत की सहमति और भावना के लिए कोई जगह नही है पुरुष कई बार शादीशुदा जिंदगी में अपनी मर्यादाएं और स्त्री की ज़रूरत को भूल जाते हैं। राधिका ने बताया कि, एक रात शराब के नशे में झूमते लड़खड़ाते हुए उसके पति कमरे में दाख़िल हुए और ज़ोर-ज़बर्दस्ती करने लगे, राधिका रुआसें स्वर में कहती है की,उन्होंने जो मेरे साथ किया उसे मैं कहीं से भी प्यार नहीं मान सकती। अभी कुछ दिनों पूर्व ही राधिका के पति ने उसके साथ वहशियाना हरकत की,जिसके निशान आज भी राधिका की पीठ पर मोजूद थे।
एक अनुमान के मुताबिक आज भी यौन हिंसा की शिकार महिलाओं में अधिकांश, करीब 8० फ़ीसदी महिलाएं इसके बारे में किसी को कुछ नहीं बतातीं और केवल दस से पंद्रह फीसदी महिलाएं ही किसी से मदद मांग पाती हैं!
दरअसल वैवाहिक अपेक्षा का अर्थ यह नहीं लगाया जा सकता कि पुरुष को पत्नी की सहमति के बिना यौन संबंध बनाने का अप्रतिबंधित अधिकार है।
सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक बलात्कार के एक मामले को लेकर अहम फैसले में कहा है कि पति द्वारा किया जाने वाला दुष्कर्म ‘मैरिटल रेप‘ की दशा में भी 24 सप्ताह की तय सीमा में पत्नी गर्भपात करा सकती है।सा समाज भले ही वैवाहिक बलात्कार पर चुप हो लेकिन कानून महिलाओ के अधिकारों को और भी सक्षम बनाने की ओर अग्रसर है।
