हम चाहते हैं कि आपके पास सर्दियों का ऐसा अनुभव हो जो आपने पहले कभी न अनुभव किया हो। इस साल, आइए नरसिंहपुर में सर्दियों में घूमने के लिए कुछ अद्भुत जगहों के बारे में जानें।
लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं जिनकी पॉकेट इजाजत नहीं दे रही है।लो बजट को लेकर असमंजस में है तो अब आप बजट की टेंशन छोड़िए और अपने ही शहर के चुनिंदा खूबसूरत स्थान पर घूमने का मजा लीजिए।जहां कम बजट में आप घूमकर अपनी सर्दियों को यादगार बना सकते हैं।
अगर आप दुनिया की भीड़ से अलग होकर अपने पार्टनर के साथ या किसी स्पेशल वन के साथ पहाड़ों पर छुट्टियां मनाना चाहते हैं तो गाडरवारा मैं सतपुड़ा श्रृंखला पर बेस बड़ागांव आप घूमने जा सकते हैं। यहां पर परिवार और पार्टनर के साथ मौज-मस्ती करने का एक अलग ही मज़ा है।यहां का भोजन, संस्कृति और इतिहास ऐसी बहुत सी चीजें हैं जिनका आप अनुभव कर सकते हैं।
प्रकृति जो सुकून देती है, दुनियां में कोई भी दूसरी चीज़ से उसकी तुलना नहीं की जा सकती है। यहां पर कभी पहाड़ों के नजारे आसानी से देखने को मिल जाते हैं तो कभी-कभी कठिन दुर्गम रास्तों से होकर इन तक पहुँचना पड़ता है।
घने जंगलों से गुजरने वाला ये रास्ता लंबा जरूर है लेकिन ऐसी खूबसूरती आपको कहीं और नहीं मिलेगी। यहां के ग्रामीण माहौल में आप असली पहाड़ की सभ्यता और खूबसूरती दोनों का आनंद ले सकते हैं। हालांकि आपके यहां भोजन के लिए स्थानीय ग्रामीणों द्वारा बनाए गए पारंपरिक भोजन पर ही निर्भर रहना होगा।
नरसिंहपुर जिले में राजा बाबू सरकार भी घूमने लायक जगह में से बेहद शानदार है।
राजा बाबू के लिए आपको नरसिंहपुर जिले की छिंदवाड़ा रोड पर लालपुर से उसरी गोरखपुर रोड पर जाना होता है उसी रास्ते में आपको राजा बाबू सरकार का रास्ता मिलता है। ऐसी मान्यता है कि राजा बाबू सरकार दूल्हा देव महाराज के बड़े भाई हैं।
चौगान किला ; गाडरवारा तहसील मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूरी पर बना यह दुर्ग पूर्वाभिमुख है इस पूर्व की दीवारें एवं महल गढी हुई प्रकार शिलाओं ,अनगढ छोटे बडे प्रस्तकारों से चुना के गाढ़े की जुड़ाई द्वारा बने हैं।पहाड़ी के ऊपर एक परकोटा बना है इस किले में तीन द्वार लांघ कर पहुंचते हैं ।किला के अंदर एक तालाब है जिसे रेवाकुंड कहा जाता है इसके ही समीप एक प्राचीन पिरामिड शिखर वा मंदिर है।राजगौड़ वंश की समृद्धि और वैभव का प्रतीक रहे इस चौरागढ़/चौगान के किले का अब खंडहर दिखने लगा हैं।चौगान किले को लेकर किवदंती है कि यहां के तालाब में पारस का पत्थर है।यहां जाने का कोई सुगम मार्ग तो कोई नही है परन्तु करपगांव-शाहपुर व आमगांव बडा होते हुए पहुंचा जा सकता है।