वैसे तो जनपद पंचायत गोटेगांव के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत बरहेटा में आरती पटेल सरपंच है लेकिन गांव की असल प्रधानी उनके पति चलाते हैं। गांव में आरती पटेल का अपना कोई राजनीतिक वजूद नहीं है। यही वजह है कि गांव की अप्रत्यक्ष रूप से प्रधानी उनके पति ही चलाते हैं। तकरीबन डेढ़ वर्ष गुजर जाने के बाद भी आरती पटेल को विकास कार्य से कोई सीधे तौर पर लेना-देना भी नहीं रहा।
शपथ ग्रहण करने के बाद उनके पति ने ग्राम प्रधान का दायित्व संभाल लिया था और अभी तक वही संभाल रहे हैं! जब हमने इस बारे में पटल की और ग्राम पंचायत भवन पहुंचे तब अक्सर वहां उनके पति ही दिखाई दिए ग्राम प्रधान वहां मौजूद नहीं रही। इतना ही नहीं सरकारी पोर्टल पर दर्ज मोबाइल नंबर जो उनकी पत्नी के पास होना चाहिए वह भी सरपंच के पति ही उपयोग करते हैं।
यह अलग बात है कि गांव में विकास कार्यों पर खर्च धनराशि अब तक उन्हीं के हस्ताक्षर से निकली है। संभव है कि महिला के लिए आरक्षित सीट होने के कारण उन्होंने मजबूरी में अपनी पत्नी को चुनाव लड़वाया और जीत जाने के बाद बागडोर अपने हाथ में ले ली।
हालांकि महिला सरपंच के स्थान पर यदि उनके पति अथवा देवर मिनी सचिवालयों में बैठे तो पंचायती राज एक्ट के तहत कार्रवाई हो सकती है लेकिन नरसिंहपुर जिले में यह नियम सिर्फ कागजों में दर्ज होकर रह गया है और महिला सशक्तिकरण भी फाइलों में ही सीमित कर रह गया है।
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क्या अपनी पैसों की भूख शांत करने के लिए यह सारा खेल खेला जाता है? ताकि सरकारी पैसे की खुलकर होली उड़ाई जा सके!
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह वही ग्राम पंचायत बरहेटा है जहां पर सचिव, जल्द ही हम जो खुलासा करने जा रहे हैं उसे जानकर आपके पैरों तले की जमीन खसक जाएगी।