*ग्राम पंचायत सिमरिया कला जनपद करेली नरसिंहपुर।*
यह ग्रामीणों द्वारा लगाए गए आरोप हैं।जो विभागीय जांच के अधीन हैं।उच्च स्तरीय अधिकारियों की कमेटी द्वारा जांच करने के बाद ही दूध का दूध और पानी का पानी हो सकता है।
स्वच्छता का राग अलापने वाला प्रशासन सिर्फ शहर में ही स्वच्छता का मिथ्या आडंबर रचकर आंकड़ों में शहरी खूबसूरती को बयां करता है?गांव की स्थिति पर गौर करें तो पाते हैं की स्वच्छता व्यवस्था को लेकर ना प्रशासन चिंतित है और ना ही पंचायत?
बदलाव आया हो या न आया हो लेकिन लोगों ने खामोश रहना सीख लिया है?यह बेहद हैरान करने वाली बात है की कल तक जो लोग अन्याय,अत्याचार,शोषण के खिलाफ आवाज उठा रहे थे,वे लोग आज तंत्र की हां में हां मिला कर सिर हिला रहे हैं!
आपको बता दें कि ग्राम सिमरिया कला में जातिवाद इस कदर हावी है की सच भी यहां सांस लेते हुए कांपता है! अगर आप यह समझते हैं कि ग्राम पंचायत सिमरिया कला में विकास की बयार बह रही है तो फिर आप किसी बड़े छलावे में गुम हैं!
गजब का विकास किया जा रहा है मध्य प्रदेश में! चारों तरफ भ्रष्टाचार है नीचे से लेकर ऊपर तक सभी का कमीशन बना हुआ है !अकेले सिमरिया कला ग्राम की घटना नहीं है, कई जगह से फोन आ रहा है कि भैया हमारे गांव में भी इसी तरह का गोलमाल चल रहा है।
क्या कानून व्यवस्था सम्हालने वालों से जनता कोई उम्मीद कर सकती है?
कागजों में समाज में भले सज्जन लोग कहे जाने वाले व्यक्ति प्रशासन के पैसे का दुरुपयोग कर अपना स्वार्थ पूरा कर रहे हैं,इसके लिए जिम्मेदार कौन है ?यह सभी जानते हैं!किंतु खामोशी की चादर ओढ़े हुए हैं।
ग्राम सिमरिया कला में "अंधेर नगरी और चौपट राजा, टके सेर भाजी टके सेर खाजा" की तर्ज पर काम चल रहा है।जादुई तरीके से सरपंच पति के हिस्से में सरकारी रकम आ रही है।ग्रामीण समझ नही पा रहे हैं की, आखिर यह सब क्या चल रहा है?सवाल यह भी है की क्या अधिकारी इस राशि की भरपाई करेंगे या फिर रेवड़ियां यूं ही बांट दी जाएगी।
इस बारे में जब हमने संबंधित विभागों के अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की तब वही रटा रटाया सरकारी बयान की शीघ्र ही जांच की जाएगी और उचित कार्यवाही की जायेगी ,किंतु स्थिति पर गौर करें तो नतीजा सिफर ही नजर आता है।
कागजी आंकड़ों में कागजी विकास की जमीनी हकीकत आपको सोचने पर मजबूर कर देगी की कैसे कोई चंद सिक्कों के लालच में नैतिकता की हदों से गिर जाता है?अपनी पैसों को भूख मिटाने के लिए न सिर्फ गांव के विकास को हड़प लिया बल्कि भोले भाले ग्रामीणों के साथ भी विश्वासघात किया।
हेर फेर की संभावनाओं की पुष्टि करती यह तस्वीरें बयां कर रही है कि,सच क्या है?लेकिन संबंधित विभागीय अधिकारियों ने आंख बंद कर रखी है।जाहिर सी बात है की इसकी वजह क्या है?तमाम तथ्य सामने होने के बाद भी अधिकारी शिकायत करने में आनाकानी यूं ही नहीं करते हैं, गुप्त सूत्रों के अनुसार समय पर नजराना टेबल पर पहुंच जाता है,इस वजह से अधिकारी कार्यवाही करने की जहमत नहीं उठाते हैं।हालाकी नजराने की बात में कितनी सच्चाई है? इस बात से जिले की जनता बखूबी अवगत है।
ग्रामीणो से वार्ता के दौरान यह भी सामने आया कि गुप्त तरीके से पंचायतों के दस्तावेजों को अपने घर पर ले जाकर रखा जाता हैं, और समय अनुसार उन पर गुप्त तरीके से हस्ताक्षर करवाया जाता है,हालाकी इस बात में कितनी सच्चाई है फिलहाल हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं लेकिन इस तरह की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है।
नाम न जाहिर करने की बात करते हुए ग्रामीण कहते हैं कि सरपंच पति और सचिव की मिली भगत से नाला की सफाई की मिट्टी उठाने के लिए 12000 रुपए का बिल लगाया गया जिसका भुगतान भी हो गया किंतु वहां से कभी मिट्टी हटाई ही नहीं गई। बल्कि आसपास के स्थान पर उसे मिट्टी को फैला दिया गया!तो फिर ₹12000 सरपंच और सचिव ने किस बात के निकाले?
सिमरिया कला ग्राम पंचायत में चल रहे भ्रष्टाचार के काले कारनामों की लिस्ट काफी लंबी है।ग्रामीणों द्वारा लगातार कभी संबंधित विभाग, कभी जनसुनवाई तो कभी सीएम हेल्प लाईन में शिकायत की गई किंतु नतीजे शून्य नज़र आए।
सूत्र कहते हैं की,कमीशन खोरी,हिस्सा और लिफाफा प्रथा अब भी हावी है।विकास के लिए आई राशि का बड़ा हिस्सा सिर्फ नीचे से ऊपर तक पहुंचाने में ही खर्च हो जाता है।काम कोई भी हो हर किरदार के दाम तय हैं,कहा तो यहां तक भी जाता है की सबको मैनेज करना पड़ता है,इसलिए सब चलता है।विश्वानीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक काम प्रारंभ होने के पूर्व ही अपने अपने हिस्से को लेकर पहले ही बोली लगा दी जाती है।
विभाग द्वारा की जा रही कार्रवाईयो को पर्दो के पीछे अंजाम दिया जाना कहां तक उचित है? ग्रामीणों द्वारा अधिकारियों की कार्यशैली पर लगातार अंगुली उठाई जा रही है।
गांव की गरीब जनता लापरवाहियों और अनियमितताओं से त्रस्त होकर कराह उठी।जिम्मेदारों ने गरीब की आंखों से जैसे भविष्य के ख्वाब ही छीन लिए।ना जाने कितने आरोप और शिकायतों को लेकर गुहार लगाने वाली जनता का विश्वास भी न्याय व्यवस्था को लेकर डगमगाने लगा है,नीति, नियम,कानून सिर्फ गरीब के लिए है!अमीरों के लिए कोई नियम कानून नही ऐसा क्यों?लोग पूछना चाहते हैं,लेकिन डरते हैं की कहीं तंत्र की व्यवस्था की आंखों में न चढ़ जाए अन्यथा बैर और न्याय का आमना सामना होने पर ग्रामीणों को खामियाजा भी उठाना पड़ सकता है।
हैरानी की कोई बात नही की गांव में सरपंच, सचिव,जीआरएस, सरपंच पति की कार्यशैली की संदिग्धता के किस्से गांव वालों की जुबान पर है।एक हमाम में सब नंगे कहावत यहां पूरी तरह से चरितार्थ होती हुई लगती है!
जारी ;
समाचार सेवा प्रदाता कंपनी द्वारा ग्राम पंचायत सिमरिया कला के सरपंच की लिखित शिकायत जिला कलेक्टर पुलिस अधीक्षक नरसिंहपुर और जिला पंचायत
स्टिंग ऑपरेशन के दौरान कैमरे में कैद हुई सच्चाई. . .