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नरसिंहपुर जिले में मनरेगा के क्रियान्वयन को लेकर कई सवाल खड़े होते रहे हैं?


अनेक ग्राम पंचायत में ने सिर्फ कागजों पर काम दिखाकर लाखों रुपए की हेर फेर की और जो लगातार समाचारों की सुर्खियां भी बनी रही। 

हेर फेर के यह मामले मनरेगा में व्याप्त भ्रष्टाचार की स्थिति बयां करते है।

नरसिंहपुर जिले मैं ऐसी अनेकों ग्राम पंचायत हैं जहां पर सरपंच और सचिवों ने अपने स्वार्थ के लिए मनरेगा योजना के लिस्ट में अपने चहेतों का नाम डलवा दिया और उनके नाम पर भुगतान भी किया जाता रहा!

स. से.प्र. कंपनी की वेबसाइट पर जाकर आप विगत दिनों प्रकाशित समाचार की लिस्ट में इन ग्राम पंचायत के नाम पढ़ सकते हैं।



ग्राम पंचायत में विकास के लिए सीधी आने वाली यह राशि प्रधान पद पर बड़े और रसूखदार लोगों को ललचाती है।प्रधान के पास सीधा आने वाला पैसा और इसे कैश में ख़र्च करने की छूट भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है।

इसे समझने के लिए हमने पिछले एक महीने में नरसिंहपुर जिले में इसका गहन जायजा लिया। हमें आश्चर्य हुआ यह जानकर कि ग्रामीणों को रोजगार तो चाहिए, लेकिन अनेक ग्रामीणों को तो अब भी मनरेगा या जॉब कार्ड के बारे में कोई जानकारी नहीं है।

यही मुख्य वजह है कि आज भी गांव अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहे हैं और रोज़गार, ग्राम विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य आदि की योजनाएं सही ढंग से लागू नहीं हो पा रही है!

ग्राम पंचायत की बैठक बुलाना, कार्यवाही लिखना, प्रस्ताव एवं कार्य योजना तैयार करना, बजट बनाना, खर्च करना, उसका लेखा जोखा रखना और प्रशासन से पत्राचार आदि का काम पंचायत सचिव का होता है! लेकिन आमतौर पर ग्राम सचिव अधिकारियों और पत्रकारों को मैनेज कर काले कारनामों पर पदर डालने में ही मसरूफ रहते हैं?

ऐसे अनेक सचिवों के काले करनामें मीडिया में भी अच्छी खासी सुर्खियां बटोर चुके हैं।

प्रशासनिक तंत्र की संवेदनशीलता के अभाव में पंचायत सचिव और ग्राम प्रधान बड़े पैमाने पर फ़र्ज़ी काम या मज़दूरी दिखाकर योजनाओं का पैसा हड़प जाते हैं?

सरपंच और सचिवों की मिलीभगत के चलते मजदूरों को रोजगार नहीं दिया जा रहा है। हालांकि मस्टर रोल में उनके नाम दर्ज कर लिए जाते हैं और काम मशीनों से करा दिया जाता है।

लोगों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश काम सरपंच सचिव मशीनों से करवा देते हैं। जिसके बारे में लोगों को पता तक नहीं होता।

जानकारी के मुताबिक मनरेगा का नियम कहता है कि काम न पाने वाले जॉब कार्ड धारकों को बेरोजगारी भत्ता दिया जाये लेकिन जब हमने गहन पड़ताल की तब पाया कि जॉब कार्ड धारी को काम न मिलने के बावजूद भी बेरोजगारी भत्ता नहीं दिया गया। ऐसे ग्रामीणों की फेहरिस्त काफी लंबी है।

stringer24news द्वारा जब नरसिंहपुर ज़िले में नरेगा के काम का सामाजिक ऑडिट किया तो कई खामियों और घोटालों का पता चला। कुछ उजागर हो पाए कुछ पर कार्यवाही हुई और कुछ दबा दिए गए!

नाम न जाहिर करने की शर्त पर कुछ स्थानों पर तो सरपंच ने साफ़ कहा कि हमें 5 से 10 फीसदी तक ऊपर भी देना पड़ता है। अगर हम ऐसा ना करें तो हम पर दबाव बनाया जाता है और अगर हम करते हैं तो गांव हमें भ्रष्टाचारि कहता है! ऐसा लगता है जैसे हम बहुत बड़े गुनहगार हो गए हैं।

मेहनताना कम होने से जहां इस योजना में काम करने वाले मजदूरों ने अपने हाथ खींच लिए हैं। वहीं न्यूनतम मजदूरी होने के बावजूद भी समय पर भुगतान नहीं होता है। ऊपर से कोड पर खाज यह है कि सचिव सरपंच और ग्राम रोजगार सहायक बचीकूची कसर पूरी कर देते हैं? आज सरकार की महत्वाकांक्षी योजना जमीन पर दम तोड़ते हुए नजर आ रही है!

stringer24news पर फोन कॉल और व्हाट्सएप के माध्यम से ग्रामीणों की शिकायतों की भीड़ उमड़ी और नरेगा में हुई गड़बडियों की पोल खुलती गई।

मनरेगा योजना में भ्रष्टाचार थमने का नाम नहीं ले रहा है। कहीं मशीनों से काम कराया जा रहा है तो कहीं सरपंच-सचिव द्वारा फर्जी मस्टर रोल तैयार करने की शिकायतें मिल रही हैं।

मनरेगा के जिम्मेदारों ने ही इस योजना में इस कदर लूट मचाई कि सरकार की पूरी मंशा धराशाई हो गई!

सवाल उठता है कि क्या ऐसे लोगों की उच्च स्तरीय कमेटी से जांच करवा कर सरकारी धन की रिकवरी कराई जाएगी और उनके खिलाफ कार्रवाई भी होगी?

अब देखना यह है कि भोली भाली जनता कब तक यूँ ही घोटालेबाजों की चक्की में पिसती रहेगी या फिर कब तक अधिकारी मनरेगा से संबंधित शिकायतों पर जांच कर कोई ठोस कार्यवाही करेंगे?

।। समीक्षा ।।

जारी ;

ग्राम पंचायत बार छी एवं ग्राम पंचायत सिमरिया कला के मामलों को हम देखें तो इनमें एक सामान्य आवश्यक है कि यहां दोनों ही ग्राम पंचायत में
















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