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जनपद चिचली, नरसिंहपुर से तहलका रिपोर्ट
जनपद सीईओ ने कितनी खाई रिश्वत
मोहपानी ग्राम पंचायत के फर्जी मजदूरों का मामला अब नरसिंहपुर जिले में भ्रष्टाचार की मिसाल बन चुका है। लाखों रुपये कागज़ी मजदूरों के नाम पर उड़ाए गए, और जनपद सीईओ चिचली अब तक खामोश हैं। सवाल यह नहीं कि रिश्वत ली या नहीं — सवाल यह है कि कितनी खाई!
ग्रामीणों के बताए अनुसार जब जिला पंचायत सीईओ ने फोन पर आदेश दिया कि “मोहपानी पंचायत में फर्जी मजदूरों के मामले पर गंभीरता बरतते हुए ध्यान दिया जाए!” — तब जनपद सीईओ चिचली हाथ पर हाथ धरे क्यों बैठे रहे?
सूत्र बताते हैं कि फाइलें जानबूझकर रोक दी गईं। जांच के नाम पर “मौन रिश्वत” का दौर चल रहा है। पंचायतों की फाइलें खोलो तो आधे मजदूर कागज़ों पर पैदा और वाउचर पर मर जाते हैं। मनरेगा के पैसों की हो रही लूट पर जनपद सीईओ की चुप्पी — अब सीधे भ्रष्टाचार की गंध देने लगी है।
आखिर किस “कट” के सहारे यह फर्जीवाड़ा ढका जा रहा है? क्या जनपद कार्यालय के भीतर रिश्वत का खेल खुलकर खेला जा रहा है?
स्थानीय लोगों का कहना है कि जांच का आदेश तो ऊपर से आ गया, मगर नीचे के अफसरों ने मामले को फाइलों के कब्रिस्तान में दफन कर दिया। शिकायतकर्ता दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार अफसरों के दरवाजे पर मौन की ताला-बंदी है।
अब जनता पूछ रही है —
जब जिले के शीर्ष अधिकारी आदेश दे चुके हैं, तो कार्रवाई क्यों नहीं?
क्या मोहपानी पंचायत के फर्जी मजदूरों का सच रिश्वत की मोटी परत के नीचे दबा दिया गया है?
अगर जनपद सीईओ निर्दोष हैं — तो जांच क्यों नहीं शुरू की? और अगर जांच में देर हो रही है — तो जनता यही समझे कि रिश्वत का हिस्सा बड़ा है!
Stringer24News की टीम इस पूरे मामले की जमीनी पड़ताल कर रही है। आने वाले दिनों में और भी खुलासे होंगे — और जनता को बताया जाएगा कि आखिर मोहपानी पंचायत का “फर्जी मजदूर खेल” किन अफसरों की मिलीभगत से फल-फूल रहा है।
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