नरसिंहपुर। पंचायत राज के नाम पर केरपानी में जो तमाशा चल रहा है, उसे देखकर तो भ्रष्टाचार भी शर्मा जाए। यहाँ विकास योजनाएँ नहीं, कमीशन की खाई खुदी हुई है — जिसमें जनता की उम्मीदें रोज़ दफ़न हो रही हैं।
सफाई योजना के पैसे कागज़ों पर झाड़ू लगाकर साफ़ कर दिए गए, लेकिन गांव की गलियों में अब भी कचरे का राज है! मनरेगा में मजदूरों की हाजिरी “भूतों” के नाम पर लगती है, और निर्माण कार्यों में ईमानदारी का एक दाना तक नहीं डाला गया?
यहां जनता की गाढ़ी कमाई पर भ्रष्टाचार का तिलक लगाकर सरपंच पति खुलेआम नाच रहा है — और सिस्टम ताली बजा रहा है।
सरपंच पति की मनमानी इस कदर बढ़ चुकी है कि पंचायत अब “परिवार लिमिटेड कंपनी” बन चुकी है!ठेके उन्हीं को, बिल उन्हीं के, और कमीशन का खेल भी उन्हीं के दरबार में तय होता है! सचिव तो बस तलवे चाटने वाले सेवक बनकर रह गए हैं?
जनता गड्ढों में गिरती है, बच्चे गंदगी में बीमार पड़ते हैं, लेकिन फाइलों में लिखा रहता है — “संपूर्ण सफाई कार्य पूर्ण”। अधिकारी आंख मूंदे बैठे हैं, क्योंकि ऊपर तक कमीशन की रस्सी बंधी है।
अब सवाल ये नहीं कि पैसा किसने खाया — सवाल ये है कि क्या प्रशासन अंधा है या बिक चुका है?
केरपानी की गलियों में जनता सड़ रही है और पंचायत भवन में नोटों की गिनती हो रही है। यह पंचायत नहीं, भ्रष्टाचार का दरबार बन चुकी है — जहाँ ईमानदारी मर चुकी है, और जिम्मेदारी का शव अभी तक दफन नहीं हुआ।
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