सरपंची की कुर्सी के खेल का वो काला सच
जो अब तक था पर्दे के पीछे...
"शिकायतकर्ता, कुर्सी और कमाई का तिकोन — पंचायत राजनीति का नया रूप"
जहाँ पंचायतों को विकास का आधार माना गया था, वहीं अब कई जगहों पर यह कुर्सी केवल कमाई और दबाव की राजनीति का जरिया बन चुकी है।
शिकायतकर्ताओं द्वारा पंचायतों पर दबाव बनाना, फर्जी रिपोर्ट तैयार करवाना, और आगामी पंचवर्षीय कार्यकाल के लिए कुर्सी हथियाने की तैयारी — यह अब एक आम ‘रणनीति’ बन चुकी है।
सूत्रों का कहना है कि कुछ शिकायतकर्ता, जनहित के नाम पर प्रशासन तक पहुँचने के बाद, उन्हीं पंचायतों से सांठगांठ कर आर्थिक सौदेबाजी तक करने लगते हैं। नतीजा — ना विकास होता है, ना न्याय मिलता है।
इस गंदी राजनीति के खेल में ना गांव के विकास को भुला दिया जाता है!सरपंच इस घिनौनी साजिश का शिकार होते हैं,लेकिन उनके पास विकल्प क्या हैं?
पर्दे के पीछे चल रहा यह कुर्सी का खेल अब धीरे-धीरे उजागर होने लगा है। पंचायत की सियासत में यह ‘शिकायत संस्कृति’ अब भविष्य की कुर्सियों के लिए नया हथियार बन चुकी है।
आज दोपहर — देखिए हमारी विशेष रिपोर्ट
🎙️ “शिकायतकर्ता, कुर्सी और कमाई पर मरता?”
