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नरसिंहपुर | इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

🍌 कार्बाइड से पकाए जा रहे केले! सेहत के नाम पर ज़हर बेच रहे फल कारोबारी

नरसिंहपुर जिले में फलों के ठेकेदारों और दुकानदारों की लापरवाही अब लोगों की ज़िंदगी पर भारी पड़ सकती है। विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक, केले को जल्दी पकाने के लिए आज भी कैल्शियम कार्बाइड का खुला इस्तेमाल किया जा रहा है — वो भी बिना किसी रोक-टोक या जांच के।

“फल तो मीठे लगते हैं... पर असल में ये जहर का स्वाद है जो धीरे-धीरे शरीर को अंदर से जला रहा है।” — एक पूर्व स्वास्थ्य अधिकारी (नाम न छापने की शर्त पर)

कैसे पकते हैं ‘कृत्रिम’ केले?

दरअसल, किसानों से आने वाले कच्चे केले ठेकेदारों के पास बड़ी लॉट में ट्रकों से उतरते हैं। वहीं से शुरू होता है ‘पकाने’ का खेल। दुकानदार बताते हैं कि कार्बाइड के छोटे-छोटे टुकड़ों को पानी में घोलकर केले की लॉट के बीच रख दिया जाता है। कुछ घंटों में ये गैस छोड़ता है जो केले के छिलके को पीला बना देती है, लेकिन अंदर का फल कच्चा और जहरीला रहता है।

नाम न बताने की शर्त पर एक फल विक्रेता ने बताया — “अगर कार्बाइड का कम छिड़काव करें तो केले चमकदार और अच्छे दिखते हैं। लेकिन अगर ज्यादा कर दें तो वे काले, पिलपिले और जल्दी गलने वाले हो जाते हैं। बाजार में जो सस्ते केले दिखते हैं, उनमें यही केमिकल होता है।”

क्या कहता है विज्ञान?

कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल उद्योगों में वेल्डिंग के लिए किया जाता है। लेकिन जब इसे फलों में लगाया जाता है तो इससे एसिटिलीन गैस निकलती है, जो मानव शरीर में जाकर कैंसर, किडनी और न्यूरोलॉजिकल समस्याएं पैदा कर सकती है। भारतीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (FSSAI) ने 2011 से ही इस रसायन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया है, पर जमीन पर हकीकत बिल्कुल उलट है।

कहाँ है निगरानी?

खाद्य विभाग की नियमित जांचें न के बराबर हैं। बाजारों और मंडियों में कोई टीम इस पर नजर नहीं रखती। नतीजा ये कि कार्बाइड की बदबू में पके केले रोज़ाना हजारों लोगों की थाली में पहुँच रहे हैं।

“हमने कभी कोई जांच टीम नहीं देखी, बस इतना जानते हैं कि केले जल्दी बिकने चाहिए।” — स्थानीय फल व्यापारी, नरसिंहपुर

सरकार की नाकामी या अनदेखी?

कार्बाइड से पकाने का यह खेल कोई नया नहीं, लेकिन अब यह सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बनता जा रहा है। सवाल यह है कि जब कानून मौजूद है, तो कार्रवाई कहाँ है? क्या खाद्य निरीक्षक सिर्फ कागजों पर काम कर रहे हैं? या फिर इस ‘पीले जहर’ के कारोबार में कोई ऊपर तक मिला हुआ है?

अब वक्त है कि प्रशासन फलों की दुकानों और गोदामों पर औचक निरीक्षण करे। क्योंकि जो केले आज कार्बाइड से पकाए जा रहे हैं, वही कल हमारे बच्चों की सेहत बिगाड़ेंगे। नरसिंहपुर की गलियों से उठती यह रिपोर्ट सिर्फ चेतावनी नहीं — यह जनता की सेहत की पुकार है।

रिपोर्ट: विक्रम सिंह राजपूत

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