*मोहपानी के ये ग्रामीण आखिर चाहते क्या है? मांग है क्या आखिर इनकी?: ग्राम पंचायत मोहपानी:चिचली:नरसिंहपुर*
विगत दिवस 21 दिसंबर की शाम मोहपानी से ग्रामीणों द्वारा जारी इस विडियो को गौर से देखिए और समझने की कोशिश कीजिए कि आखिर धरना स्थल पर बैठे ग्रामीणों में से पवन क्या कह रहे हैं, पवन किस ओटीपी जांच का जिक्र कर रहे हैं और इतनी दबी जुबान में जिक्र क्यों किया जा रहा है?क्या ग्रामीणों या आंदोलनकारियों में कोई खौफ है?
दरअसल अभी हाल ही में कुछ दिनों पहले ही मोहपानी में हुई आर्थिक अनियमितताओ को लेकर आरोपियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए और रिकवरी राशि का भी इसमें जिक्र आया। जो लगभग 22 लाख रुपए से कुछ अधिक है।
रिकवरी राशि सुनकर आपको यह भ्रम हो सकता है कि ग्रामीणों की मांग पूरी हुई और आंदोलन सफलता की राह पर है?जबकि ग्रामीणों की माने तो वास्तविकता कुछ और ही है,प्रशासन ने ग्रामीणों की मांग को पूरी तरह अनसुना कर अपनी मनमानी से पिछले पन्द्रह वर्षों की जांच रिपोर्ट थोप दी!
जाहिर सी बात है कि वर्तमान आरोपियों के कारनामे पर पर्दा डालने की मंशा अधिकारियों की थी? इस मामले में पूर्व सरपंच मुरारी को बलि का बकरा बनाने के लिए चुना गया? क्यों की जांच रिपोर्ट देखकर तो ऐसा ही लगता है! पूर्व सरपंच मुरारी के कारनामों का कच्चा चिट्ठा भी सबके सामने आया!
बावजूद इस सबके ग्रामीण खुद को ठगा हुआ महसूस क्यों कर रहे हैं? क्या था ग्रामीणों के मांग पत्र में और कौन सी हुई जांच? क्यों दबी जुबान में जिक्र कर रहे हैं ग्रामीण?क्या है ओटीपी संबंधित जांच?
हाल ही में सोशल मीडिया पर मौजूद पोस्ट पर नजर पड़ी, इसमें भी मुख्य मांग पूरी ना होने का जिक्र किया गया है।क्यों आखिर इस मांग के बारे में स्पष्ट और विस्तार से चर्चा क्यों नहीं की जा रही है? क्या ऐसी भी कोई मांग हो सकती है जो दबे शब्दों में व्यक्त की जाए और उस पर ना कोई स्पष्ट वार्ता हो और ना ही कभी खुलकर वीडियो या बयानों में जिसका जिक्र किया जाए?
ऐसे में अधिकारी इस स्पष्ट मांग पर अपनी कोई प्रतिक्रिया कैसे व्यक्त कर सकते हैं?और कैसे कोई कार्यवाही की जा सकती है,जब उक्त मांग का जिक्र ही स्पष्ट तौर पर ना किया जाए? स्वाभाविक बात है कि ग्रामीणों के रुख और रवैए को देखते हुए ही जांच अधिकारियों ने भी मामले में लीपापोती कर पर्दा डालने का सफल प्रयास किया!और आज फिलहाल तक जो नतीजे सामने आए हैं,उन्हें देखकर तो यही लगता है!
ऐसे में यह सवाल रहस्य पैदा करता है कि आखिर,क्या है वह मुख्य मांग और क्यों इसे इतनी दबी जुबान में बताया जा रहा है।
असल में मामला बेहद ही गंभीर है और ग्रामीणों में एक तरह का भय व्याप्त है , उक्त मामले को लेकर यदि यह कहा जाए कि ग्रामीण इस समय डरे हुए हैं तो यह कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा, ऐसा प्रतीत होता है!
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हम आपको बताते हैं कि आखिर ओटीपी संबंधित जांच क्या है और इस मामले में कौन कौन लिप्त है?ग्रामीणों के बताए अनुसार, , ,