*सरपंची के अखाड़े का उस्ताद कौन?: ग्राम पंचायत रांकई: जनपद पंचायत करेली:नरसिंहपुर*
*रांकई की पंचायत में जो नूरा कुश्ती चल रही है,इससे ग्रामीणों को कुछ लाभ हो या ना हो, लेकिन मनोरंजन अच्छा खासा हो रहा है।पंचायत की विवादित शैली को लेकर उपहास उड़ाया जा रहा है लेकिन जिसने भ्रष्टाचार की बेशर्मी की चादर ओढ़ रखी हो फिर उसे किससे और कैसी शर्म?*
हाल ही में जो जानकारियां सामने आई,उसके मुताबिक सरपंच सुनीता अब सभी वित्तीय कार्य खुद सम्हाल रही है! हालाकि जब हमने इस दावे की पड़ताल की तो मामले में और भी तहें उखड़ती चली गई। एक के बाद एक चौकाने वाली बातें सामने आ रही थीं।
सोचकर आश्चर्य हो रहा था कि,कैसे नरसिंहपुर जिला प्रशासन की नाक के नीचे जनपद पंचायत करेली में भ्रष्टाचार पोषित हो रहा है और जिम्मेदारों ने ऐसे चुप्पी साध रखी है जैसे इन्हे सांप सूंघ गया हो!
रांकाई से संबंधित पूर्व में प्रकाशित खबरों और मिडिया रिपोर्ट्स पर जिन पाठकों की नजरें होंगी,उनके मस्तिष्क में भी सवाल उमड़ रहे होंगे!मसलन एक वर्ष पूर्व उस दावे का क्या हुआ,जिसमें जनपद सीईओ प्रतिभा परते द्वारा दावा किया गया था कि, सरपंच सुनीता को पद से प्रथक किए जाने की कार्यवाही विभाग की तरफ़ से कर दी गई है? वहीं भ्रष्टाचार के अन्य मामलों की जांच में विभाग ने क्या पाया? उप सरपंच और पंचों द्वारा दावा किया जा रहा था कि, ग्राम रोजगार सहायक के गांव से ट्रांसफर होते ही विकास की बयार बहने लगेगी,अधिकारियों ने भी आनन फानन में जीआरएस को अन्य गांव में भेज दिया,क्या अब गांव में विकास कार्य किए जा रहे हैं, जीआरएस के ट्रांसफर के बाद से अब तक कितने विकास कार्य करवाए गए? यह जानने का हक तो सभी गांव वालों को है!सरपंच, सचिव और उप सरपंच की तिकड़ी का क्या हुआ? किसके हाथ में है इस समय पंचायत के खजाने की कुंजी?सबसे अहम सवाल जो आपको परेशान कर रहा होगा, वह यह है कि, जब अधिकारियों की नाक के नीचे इतना सबकुछ चल रहा है तो भला वो इन मामलों से अनजान कैसे हैं, आख़िर विभागीय तंत्र क्या कर रहा है?
आज के अंक में हम जो खुलासा करने जा रहे हैं,उसे पढ़कर आपको अपने अधिकतर सवालों के जवाब मिल जायेंगे,और साथ ही आप यह भी जान पाएंगे कि, एक भ्रष्टाचारी को बचाने के लिए तंत्र की यह कमजोर कड़ियां किस तरह एकजुट होकर मामले को दबाने में लग जाती हैं।
जारी :
फोन वार्ता के दौरान सरपंच पति ने जो संकेत दिए उनसे साफ तौर पर जाहिर हो रहा है कि,फिर एक बार