भ्रष्टाचार रिश्वतखोरी गरीबी बेरोजगारी और शोषण पर उठी हमारी खबरें कहां दब जाएगी और कहां तोड़ मरोड़ कर छप जाएगी पता नहीं।
हम वाकई जानना चाहते हैं कि आज नरसिंहपुर जिले में हजारों लोगों के पास स्मार्ट फोन है! लेकिन जनहित के मुद्दों से जुड़ी वो यह खबर पढ़ पाएंगे?
क्या आप देख पा रहे हैं कि नरसिंहपुर जिले में कितने लोग भ्रष्टाचार का शिकार बने और कितने लोगों को भ्रष्टाचार की शिकायतों पर न्याय मिला?लेकिन क्या कभी इस बात की चर्चा होती है?
क्या यह सवाल पूछने ही लायक नहीं है?
तो आपको याद रखना चाहिए कि आने वाला कल कैसा होगा!
आज तो जनहित की खबरों और मुद्दों को उठाने वाले पत्रकारों का भी मज़ाक उड़ाया जाता है! उन्हें ट्रोल किया जाता है अपशब्द बोले जाते हैं और उनके काम में व्यवधान उत्पन्न किया जाता है। खैर आप इसे पत्रकारों के काम का हिस्सा मानकर अनदेखा कर सकते हैं!सब अपने अपने तरीके से मीडिया का दमन तो करते हैं ही!
इस तरह से एक माहौल बना दिया जाता है। ताकि मुद्दे पत्रकार और आम जनता के बीच एक दीवार खड़ी कर की जा सके। अब आपको यही समझना है कि ये लोग भी किस तरह प्रोपेगैंडा के खेल में कितने माहिर है!
हालांकि इन्हें पता है कि सच्चाई क्या है। मगर फिर भी आंकड़ों में विकास का ढिंढोरा पीट रहे हैं।एक पूरा प्रोजेक्ट प्रोपेगेंडा पर आधारित चल रहा है ताकि लोगों को भ्रम में रखा जा सके?पत्रकार जनहित के मुद्दों पर लगातार लिख रहे हैं मगर उनकी बातों को आमतौर पर सोशल मीडिया ग्रुप में शेयर नहीं किया जाता है।
अपने प्री प्लान प्रोपेगेंडा और ट्रोलिंग के ज़रिए लोगों को भयभीत किया जाता है ताकि कोई अलग न बोले?
मुद्दों से हटकर आपका ध्यान भड़काया जाता है और आपका ध्यान भटकने के लिए विज्ञप्ति और विज्ञापन को मुद्दों की तरह प्रस्तुत किया जाता है जिन्हें आप तो खबर ही समझते होंगे? हालांकि वह भी सूचनाओं का एक रूप है लेकिन वे सूचनाओं आपके कितने काम आ सकती हैं? क्या यह विचार करने का विवेक भी खो दिया गया है?
अगर इन सभी बातों से आप चिन्तित हैं तो धैर्य रखें। भ्रष्टाचार व्यापार में ऐसे ही तब्दील नहीं हुआ है? इस हवन में सबने आहुति दी है!