*आप बीती ; घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाएं। ; सच्ची कहानी महिलाओं की जुबानी।*
आज न केवल गरीब और अशिक्षित बल्कि पढ़े-लिखे और आर्थिक रूप से संपन्न परिवारों में भी महिलाओं को हिंसक घटनाओं से दोचार होना पड़ता है।
महिलाओं की निजता सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए स्थान और पात्रों के नाम में परिवर्तन कर दिया गया है।
नलिनी सौम्या और मोहिनी की कहानी महज एक बानगी है।ऐसी न जाने कितनी ही महिलाएं घरेलू हिंसा से जूझ रही हैं जो खुद के ऊपर हो रहे अत्याचार को सह रहीं हैं। पुरुष प्रधान और पितृ सत्तात्मक समाज की यह कड़वी सच्चाई है?
अपनी आप बीती सुनते हुए मोहिनी कहती है कि ;
मैं उसे शाम को कभी नहीं भूल सकती हूं।(सुभाष) पति का मूड उस दिन दोपहर से ही बिगड़ा हुआ था। शाम 6:00 बजे के लगभग वह घर आ गए थे। उसे दिन हमारी शादी की सालगिरह थी। हमारी शादी को 13 साल बीत चुके थे। मैं शाम से ही तैयार होकर सुभाष का रास्ता देख रही थी।
उसे शाम वह कुछ ज्यादा ही पीकर आए थे! शायद उनकी बास से बहस हो गई थी। मुझे दरवाजे पर खड़ा देखकर वह और भी उखड़ गए शायद शराब के नशे में उसे वक्त वह यह भी भूल गए थे कि आज हमारी शादी की 13वीं सालगिरह है।
गंदी गंदी गाली देते हुए मुझे बाल पड़कर घसीट हुए वह अंदर ले गए। कहने लगे तू बदचलन की तरह यहां क्यों खड़ी है? मुझे जानवरों की तरह बेतहाशा मारा। मेरे पेट पर लेट मारी गई और मुंह पर घुसे तमाचे की बौछार हो रही थी।
मैं रो रही थी गिड़गिड़ा रही थी माफी मांग रही थी लेकिन उन पर कोई असर नहीं हो रहा था। हैवानों की तरह मारते हुए जब सुभाष थक गया तो उसने मुझे इस हालत में छोड़ दिया।
सुबह जब मैं आईने में खुद को देखा तो मेरे शरीर पर हरे और नीले निशान थे। कुछ दिनों के लिए मैं बाहर निकलना छोड़ दिया ताकि लोग मेरे चेहरे के वह हर और नीले निशान ना देख सकें।
ऐसा नहीं है कि यह मेरे साथ पहली बार हो रहा था। इसके पहले भी मेरे साथ अक्सर इस तरह की मारपीट की जाती रही है।
दरअसल हकीकत तो यह है कि आज भी महिलाओं के पक्ष में बने कानूनों के बावजूद आज भी स्थिति ये है कि बहुत सी औरतें घरेलू हिंसा के खिलाफ मुंह खोलने से बचती हैं।
पिछले ७ साल के अपने रिपोर्टिंग अनुभव के आधार पर मैं कह सकता हूं कि मैंने इस तरह की तमाम घटनाओं को देखा है जो घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाएं झेलती हैं।
पत्नी पर अगर ससुराल में अत्याचार होता है तो पति कितना ज़िम्मेदार?
अक्सर दहेज न मिलना! शक करना और बच्चे देर से होना या ना होना जैसी स्थितियों में ससुराल वाले शादीशुदा महिला को अक्सर प्रताड़ित करते हैं और इसमें कई बार पति की भी अहम भूमिका होती है।
सौम्या रोती हुई हालत में हमसे पूछती है कि मेरी जानकारियां गोपनी तो रहेगी ना! और हम उसे विश्वास दिला रहे थे। आप इसे उसका डर भी कह सकते हैं। दरअसल सौम्या के पति ने उनके साथ कई बार बलात्कार किया। बच्चों के भविष्य को देखकर वह खामोशी से इसे बरसों से सह रही हैं। सौम्या ने कहा कि अगर बच्चों की चिंता ना होती तो मैं कानूनी बछड़े में पढ़ने से भी पीछे नहीं हटती।
मैं हर रात उसके लिए सिर्फ एक कठपुतली की तरह थी। जिसे वह अपने इशारे पर नचा सकता था। मना करने पर अंजाम बेहद डरावना होता था। मेरे लिए यह सब सहना बेहद भयानक था। उसे पल ऐसा लगता था जैसे कलेजा निकल कर मुंह को आ जाएगा। लड़ाई होने पर मेरा पतिसेक्स को हथियार की तरह पर इस्तेमाल करता था।
मुझे टॉर्चर करने के लिए उसके पास कई तरह के तरीके होते थे। और मेरे पास खून के आंसू रोने गड़गड़ाने के अलावा कोई चारा नहीं था मैं जाती तो कहां जाती किस रहती और क्या कहती? क्योंकि समाज को तो इसमें कोई दोष ही नहीं दिखता है।
इस पुरुष प्रधान समाज के मुताबिक तो मैं पत्नी थी इसलिए मुझे न कहने का अधिकार नहीं था और वह मेरा पति था तो वह मेरे साथ जानवरों के जैसा सलूक भी कर सकता था।