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*जांच अधिकारी जांच करने से कतराते हैं?; ग्राम पंचायत सिवनी बधी ;जनपद गोटेगांव नरसिंहपुर।*

भैया पंचायत तो जो दूसरे हैं एक और वह चलते हैं हम और हमारी पत्नी तो बस नाम के लिए हैं!

यह कहना है सिवनी बधी के सरपंच पति का!

कितनी हैरानी की बात है कि सरपंच पति खुद यह कह रहे हैं और जनपद पंचायत और जिला पंचायत के अधिकारी इस और बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहे हैं! आखिर इसकी वजह क्या है?

कथित तौर पर सामने आया है कि अधिकारियों तक लिफाफे पहुंच जाते हैं जिसकी वजह से अधिकारी भी मौन साधना ही बेहतर समझते हैं!

आमतौर पर देखने में आया है कि नरसिंहपुर जिले की ग्राम पंचायत में कई पति अपनी पत्नियों को सरपंच बनवाकर पंचायत पर राज करने लगते हैं हालांकि इसके विपरीत कुछ ग्राम पंचायतें ऐसी भी हैं जहां पंचायत की बागडोर ना पति के हाथ में है ना पत्नी के हाथ में है कोई तीसरा ही है जो पंचायत चलता है!

वैसे तो शासन प्रशासन द्वारा महिला सरपंचों के लिए गाइडलाइन जारी की गई है। इसमें लिखा गया है कि महिलाएं ही ग्रामीण विकास के कामों में सुझाव दें। महिला हितेषी कामों के क्रियान्वयन में खुद भूमिका निभाएं। 

लेकिन यह सारे नियम कायदे कागजों में सिमट के रह गए हैं।महिला प्रधानों के स्थान पर यदि उनके पति बेटा या देवर उनका काम करते नजर आए तो पंचायती राज एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी।

हालांकि अगर आप नरसिंहपुर जिले की ग्राम पंचायत पर नजर डालें तो पाएंगे कि अधिकारी कार्यवाही करने में रुचि नहीं लेते हैं। अब ऐसा क्यों है जाहिर सी बात है आप इसका अंदाजा लगा सकते हैं?

शान द्वारा स्पष्ट निर्देश है कि सभी सचिवों को निर्देश है कि महिला प्रधान के कार्य में अगर कोई हस्तक्षेप करता है तो उसे वह स्वयं रोकें।

लेकिन ग्राम पंचायत में सचिव अधिकारियों और मीडिया को लिफाफे थमा कर उनका मुंह बंद करके इस तरह की घटनाओं पर पर्दा डालने में महारत हासिल रखे हुए हैं?

सचिव और ग्राम रोजगार सहायक द्वारा लिफाफे देने की इस प्रथा ने ही नरसिंहपुर जिले में भ्रष्टाचार को व्यापार में तब्दील करके रख दिया है?

जारी ;

अगले अंक में हम खुलासा करने जा रहे हैं कि कि सचिवऔर ग्राम रोजगार सहायक ने पंचायत में इस तरह के मुद्दे दबाने के लिए














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