किसी को यहां फर्क क्यों नहीं पड़ता है?
क्या महिला सशक्तिकरण और गांव का विकास किया जाएगा यह भी कहीं सिर्फ राजनीतिक जुमले की तरह तो नहीं है? और यदि ऐसा है तो आपकी प्रतिक्रिया क्या होती होगी?
मेरे लिए यह समझ पाना काफी मुश्किल है और शायद आप के लिए भी!
आज देखने में यह आ रहा है कि समस्याएं पीछे छूटती जा रही हैं। आम लोगों की समस्याओं को आवाज नहीं मिल रही है। नतीजा मुझे ही अनेकों कॉल आती हैं ईमेल आते हैं। यहां पर इस समय सिर्फ मैं अपनी बात बता रहा हूं। लोग सवाल करते हैं कि आखिर इतनी खबरों के बाद भी कितना कुछ बदला है और आपके इस तरह लिखने से होता क्या है?
स्वाभाविक है कि उनका सवाल अपनी जगह पर सही हो लेकिन अगर लोकतंत्र को जिंदा रखना है तो मुद्दों पर आवाज तो उठानी पड़ेगी फिर चाहे परिणाम कुछ भी हो।
अगर मैं ग्राम पंचायत में महिला सरपंचों की स्थिति को बयां करूं और महिला सशक्तिकरण की बात करूं तो लगातार 10 12 दिन तक उसे पर लिख बोल सकता हूं।
ग्राम पंचायत में लगातार भ्रष्टाचार की खबरें उठी शिकायतें की गई जांच हुई लेकिन इन जांच प्रतिवेदनों में क्या पाया गया यह एक रहस्य की तरह है, जिसके बारे में किसी को साफ-साफ नहीं पता। हां इतना अवश्य है कि कुछ जांच की जाती हैं और उनकी कार्यवाहियां भी सार्वजनिक की जाती हैं ताकि जनता को वालों की न्याय मिल रहा है।
अगर आप पिछली बातों को या मुद्दों को भूल गए हैं तो एक बार उस समय के अखबारों की रिपोर्टिंग निकाल कर देखिए। हो सकता है शायद आपको कुछ याद आ जाए।
ऐसा लगता है जैसे प्रशासन ही नहीं बल्कि इसकी सच्चाई को लेकर समाज भी चुप हो गया है। सवाल मत करो और बस चुप रहो जैसा कहा जाता है, वैसा करते रहो! आप इसे अपनी भाषा में भेड़ चाल चलना भी कह सकते हैं लेकिन शब्दों को बदलने से वास्तविकता में कोई खास बदलाव आने वाला नहीं है।
मुख्य बात यह है कि ग्राम पंचायत से भ्रष्टाचार के आरोपों की खबरें जब आती हैं और गायब हो जाती हैं। आप भी असमंजस में पड़ जाते होंगे कि आखिर यह खबरें कहां चली जाती हैं!
अक्सर लोग दबी जवान में रहते हैं कि पैसा ऊपर के अधिकारी तक जाता है मगर ऊपर वाला अधिकारी तो आखिर ऊपर वाला अधिकारी ही होता है और यह भी की उसका कुछ नहीं होता है।
हालांकि अगर आप ध्यान से देखेंगे तो आपको सच्चाई दिख ही जाएगी नहीं देखना चाहते हैं कोई बात नहीं है।हमारा काम खबरों और सवालों को सामने लाना जो गायब कर दी जाती हैं। वैसे कोशिश तो यह भी की जाती है कि हमें ही गायब कर दिया जाए ताकि ना रहेगी कलम और न पूछे जाएंगे सवाल?