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*हवाओं में घुटन का एहसास ; जिंदा है भाईचारे की आस ; मजहब नहीं सिखाता आपस में बीयर करना हिंदी है हम वतन है हिंदुस्तान हमारा।*



बशीर बद्र साहब का एक बहुत पुराना शहर मशहूर है;

सात संदूक़ों में भर कर दफ़्न कर दो नफ़रतें 
आज इंसाँ को मोहब्बत की ज़रूरत है बहुत 

कभी धर्म खतरे में है तो कभी संप्रदाय विशेष की आबादी घट रही है या बढ़ रही है!

ऐसी और भी तमाम बातें हैं जो सोशल मीडिया पर फैलती हुई दिखाई दे रही हैं।

किसी भी धर्म का होने से पहले व्यक्ति को एक इंसान होना आवश्यक है ताकि इंसानियत जिंदा रह सके। हालांकि आज फलाना अमका धमका सब कुछ मौजूद है! बा मुश्किल ही कहीं मिलता है तो वह है इंसान!

धर्म या मजहब खतरे में है यह तो मैं नहीं जानता लेकिन इतना जरूर है कि इन बातों के चलते इंसानियत खतरे में जरूर है।

खराब बुनियादी ढांचे, अर्थव्यवस्था, कानून और व्यवस्था में खामियों और उन सभी बुनियादी बातों से भीड़ का ध्यान हटाने के लिए भी अक्सर हिंदू मुस्लिम मुद्दों का फायदा उठाया जाता है।

अगर हम अपना समय इंटरनेट पर नफरत करने के बजाय सीखने और ज्ञान साझा करने में निवेश करें, तो हम इंसान के रूप में और अधिक विकसित होंगे।

हिन्दू और मुस्लिमों की एकता के लिए कई संतों का जन्म हुआ लेकिन सभी के एकता के प्रयास राजनीतिज्ञों ने असफल कर दिए?

हालांकि इस सबके बावजूद भी आज देश में हिन्दुओं और मुसलमानों का एक-दूसरे के प्रति व्यवहार बार-बार गवाही दे रहा है कि हमारे भाईचारे के बंधन अटूट हैं।






























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