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बेदू पंचायत गबन : आने वाली पीढ़ियों पर स्याह साया

🕓 Updated: 24 अक्टूबर 2025 | 📍 बेदू | ✍️ Stringer24 News

बेदू (Stringer24Special) — एक पंचायत का गबन केवल कागज़ों पर खेल नहीं होता; यह एक पूरी पीढ़ी के सपनों पर बुलडोज़र चलाने जैसा है। सरपंच पति द्वारा की गई कमीशनखोरी, फर्जी बिलिंग और घटिया निर्माण कार्य आज केवल दीवारों और नालियों को नहीं तोड़ रही — यह गाँव के बच्चों के भविष्य, किसानों के भरोसे, और आने वाली पीढ़ियों की संभावनाओं को भी निगल रही है।

1️⃣ सड़कें टूटीं — सपने भी टूटे

वो सड़कें, जिन पर बच्चे स्कूल जाते हैं और किसान मंडी तक अपनी फसलें ले जाते हैं — बारिश में कीचड़ और गड्ढों का जाल बन जाती हैं। हर बारिश के बाद गाँव में दूषित पानी निकासी ना होना विकट समस्या बन जाता है। यह घटिया निर्माण भविष्य में विकास योजनाओं को ठप कर देगा।

“हमारे बच्चे बारिश में स्कूल देर से पहुँचते हैं... कई तो जाते ही नहीं।” — ग्रामीण महिला (नाम गुप्त)

2️⃣ घटिया निर्माण — आने वाली पीढ़ियों का अभिशाप

आज जो शेड, चबूतरे और नालियाँ धंस रही हैं, वही आने वाले दस वर्षों में गाँव की संरचनात्मक कमज़ोरी बनेंगी। जहाँ सरकारी बैठके होनी चाहिए थीं, वहाँ अब दरारें हैं। हर चोरी गई ईंट, हर बचाया गया किलो सीमेंट — भविष्य की एक सुविधा को मार देता है।

3️⃣ गाँव की नयी पीढ़ी — भ्रष्टाचार की विरासत में मिली निराशा

जब बच्चे देखते हैं कि गाँव के विकास में चोरी को ही “काबिलियत” कहा जाता है, तो नैतिकता मर जाती है। एक पूरी पीढ़ी सीख रही है कि “गबन करना ही सिस्टम है।” यह मूल्य और विश्वास की मौत है।

“हमारे बाप-दादा ने मिट्टी जोड़ी थी, और ये लोग उसे पैसे में बेच गए।” — बुज़ुर्ग किसान, बेदू

4️⃣ भ्रष्टाचार का चक्र — जो आने वाले बीस सालों तक पीछा करेगा

जब सरकारी योजनाओं पर अविश्वास पनपता है, तो आगे की नीतियाँ ठहर जाती हैं। नए प्रोजेक्ट्स स्वीकृत होने में देर लगती है, अधिकारी गांवों को “संवेदनशील” घोषित कर देते हैं, और जनता को मूलभूत सुविधाएँ मिलने में सालों लग जाते हैं। यह एक धीमी मौत जैसी प्रक्रिया है।

5️⃣ भविष्य की चेतावनी : अगर आज जवाबदेही नहीं हुई…

अगर आज पंचायत स्तर पर लेखा जांच, सामाजिक ऑडिट और जवाबदेही नहीं तय हुई, तो अगली पीढ़ियाँ ऋण, अविश्वास और पलायन में डूब जाएँगी। यह कहानी केवल बेदू की नहीं रहेगी — पूरे क्षेत्र के लिए चेतावनी बनेगी।

Stringer24 Viewpoint:
“गबन सिर्फ़ रकम का नुकसान नहीं है, यह विश्वास की हत्या है। जब विकास के नाम पर छल होता है, तो गाँव का भविष्य अंधेरे में चला जाता है।”

“सड़कें टूटीं, ज़मीर भी टूटा — अब कौन जोड़ेगा बेदू का भविष्य?”
“सरपंच पति की कमाई, गाँव के बच्चों की तबाही”
“आज का गबन, कल की बर्बादी — पीढ़ियाँ भुगतेंगी इसका ब्याज”

निष्कर्ष — यह सिर्फ़ भ्रष्टाचार नहीं, एक पीढ़ी की बर्बादी की कहानी है। मिट्टी, पानी और बच्चों का भविष्य — सब बिक गए। आने वाले वर्षों तक गाँव की हर साँस यही पूछती रहेगी —

“किसने खा लिया हमारे बच्चों का कल?”

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