ग्रामीणों की दहशतभरी गवाही: कैसे गरीबों का अनाज रातों-रात हो जाता है गायब!
ग्राम पंचायत बेदू की गलियों में इस वक्त डर, गुस्सा और भूख — तीनों की गूंज एक साथ सुनाई दे रही है। ग्रामीणों का कहना है कि गांव की सोसाइटी से मिलने वाला गरीबों का राशन अब सिर्फ कागज़ों पर मिलता है?
हर महीने अनाज आता है... ट्रक में लदा हुआ, सरकारी स्टॉक के नाम पर! लेकिन जब गरीब अपनी थैली लेकर पहुंचते हैं, तो जवाब मिलता है — “स्टॉक खत्म हो गया।” और तब शुरू होता है सवालों का तूफान — आखिर वो अनाज गया कहां?
“यहां गरीबों को पेट भर खाने को नहीं मिलता... और कुछ लोग हमारे हिस्से का अनाज कट्टियों में भरकर बेच रहे हैं?”
— ग्रामीण महिला (नाम परिवर्तित)
🔥 गांव में उठे सवाल — किसके पेट में जा रहा है गरीबों का राशन?
- क्या सोसाइटी में कोई रात का रैकेट चल रहा है?
- क्या सोसाइटी कर्मचारीऔर अधिकारी इस खेल के हिस्सेदार हैं?
- कितनी बार रजिस्टर में नाम लिखा, पर थैली खाली रह गई?
गांव के बुजुर्ग कहते हैं — “पहले राशन भंडार जनता का होता था, अब नेताओं और चहेतों का।” हर हफ्ते सोसाइटी के दरवाज़े पर भीड़ लगती है, लेकिन अंदर से कोई जवाब नहीं मिलता। कभी गोलमोल जवाब तो कभी ताला लटकता है, कभी खाली बोरे!
💀 “रात में गाड़ियां आती हैं... माल कहां जाता है, कोई नहीं जानता”
स्थानीय लोगों का दावा है कि रात के अंधेरे में कट्टियाँ कहीं और ले जाई जाती हैं! किसी को अंदर झांकने की इजाज़त नहीं? जो पूछता है, उसे बताया नहीं जाता है — “चुप रहो, वरना नाम लिखवा देंगे!” गांव में अब ये भूख का माफिया बन चुका है?
“अगर सही जांच हो गई, तो कई चेहरे बेनकाब होंगे। लेकिन डर ये है कि जांच करने वाले भी उन्हीं के साथ हैं?”
— स्थानीय किसान
📦 गायब हुआ अनाज — गुम हुआ इंसाफ!
पिछले छह महीनों का हिसाब देखिए — कागजों में गेहूं, चावल और चीनी का रिकॉर्ड मौजूद है, लेकिन हकीकत में गुप्त पर्चियों में हेर फेर और ताले हैं!
कुछ ग्रामीणों ने बताया कि सोसाइटी का कर्मचारी कहता है — “नाम तो तुम्हारा लिखा है, अब चाहो तो कलेक्टर को जाकर बता दो!” यानी, भ्रष्टाचार खुलेआम और चुनौती के साथ।
⚠️ प्रशासन की चुप्पी — अपराधियों की ढाल?
रिपोर्ट फाइलों में दबा दी जाती हैं। जनता अब सवाल पूछ रही है — क्या भूख का दर्द भी अब बिक गया है? क्या सरकारी सिस्टम में इंसाफ की कीमत राशन के बोरे से भी सस्ती हो गई?
“जिस देश में भूखे का अनाज भी चोरी हो जाए — वहां चुप रहना सबसे बड़ा गुनाह है।”
🩸 गांव पूछ रहा है — आखिर कब रुकेगा ये ‘राशन माफिया’ का खेल?
📍 जिला नरसिंहपुर
 
