लोग वोट नेता को देते हैं, फिर अपेक्षा पत्रकार से क्यों रखते हैं?
Stringer24 रिपोर्ट
यह सवाल आज के समाज और लोकतंत्र दोनों के लिए बेहद जरूरी है — जब जनता वोट नेता को देती है, तो फिर अपेक्षा पत्रकार से क्यों रखी जाती है? यह केवल तर्क का सवाल नहीं, बल्कि नैतिकता और न्याय का भी मुद्दा है।
“वोट नेता को, गुस्सा पत्रकार पर — यह लोकतंत्र का सबसे बड़ा असंतुलन है।”
🗳️ जनता वोट देती है नेता को — अधिकार और भरोसे के साथ
हर चुनाव में जनता अपने क्षेत्र के विकास और प्रशासन की जिम्मेदारी किसी नेता को सौंपती है। यह लोकतंत्र का अनुबंध है — जनता कर देती है, और बदले में उसे सेवा, सुविधा और जवाबदेही मिलनी चाहिए। नेता जनता का प्रतिनिधि होता है, पत्रकार नहीं।
📰 पत्रकार का काम — रिपोर्ट करना, शासन नहीं चलाना
पत्रकार का दायित्व है सत्ताधारियों पर निगरानी रखना, सच्चाई को जनता तक पहुँचाना। वह शासन नहीं चलाता, बल्कि शासन को पारदर्शी बनाए रखने की कोशिश करता है। इसलिए पत्रकार से विकास नहीं, बल्कि सत्य और जवाबदेही की अपेक्षा रखना ही सही दृष्टिकोण है।
⚖️ नैतिक और न्यायिक दृष्टि से असंतुलन
जब जनता नेता से सवाल नहीं पूछती और पत्रकार पर गुस्सा निकालती है, तो यह लोकतंत्र की जड़ को कमजोर करता है। यह न्याय के सिद्धांत के भी खिलाफ है, क्योंकि जिम्मेदारी उस पर होनी चाहिए जिसे वोट मिला है, न कि उस पर जिसने सच्चाई दिखाई है।
💡 समाज में भ्रम क्यों है?
पत्रकार हमेशा सामने होता है, कैमरे और कलम के साथ। नेता चुनाव के बाद दूर चला जाता है। जनता की आँखों के सामने पत्रकार होता है, इसलिए उसकी नाराज़गी भी उसी पर उतर आती है। लेकिन असली जवाबदेही उस व्यक्ति की है जो सत्ता में बैठा है और जनता के टैक्स से वेतन लेता है।
🧭 सही दृष्टिकोण क्या होना चाहिए?
- पत्रकार से — सच और पारदर्शिता की उम्मीद रखो।
- नेता से — काम और जवाबदेही की मांग करो।
- जनता से — सजगता और सवाल पूछने की जिम्मेदारी निभाओ।
इसी संतुलन में ही लोकतंत्र की असली खूबसूरती है। जब तक जनता सवाल नहीं पूछेगी, तब तक जवाब देने वाले भी गायब रहेंगे।
© Stringer24 News | सत्य और समाज के बीच की कड़ी
