नरसिंहपुर : मंगलवार की जन सुनवाई अब मज़ाक बन चुकी है — एक हॉल में बैठे अफसर, सामने कुर्सियों पर हताश जनता, और बीच में कैमरों की चमक! सवाल पूछो तो जवाब मिलता है — “कार्यवाही जारी है...” लेकिन असलियत? वही पुराने फाइलों की धूल, वही ठंडे दस्तावेज़, वही झूठी रिपोर्टें!
🔥 कितनी शिकायतें जन सुनवाई में पेंडिंग हैं? 🔥 कितने आवेदन हैं जो सालों से धूल खा रहे हैं? 🔥 और आखिर क्यों नहीं प्रशासन बताता सच्चा आंकड़ा?
कलेक्टर ऑफिस के गलियारों में गूंजती जनता की कराहें, हर हफ्ते वही कहानी, वही मंच, वही “सुनवाई” की फोटोबाजी। अधिकारी आते हैं, मुस्कुराते हैं, कैमरे की तरफ देखकर सिर हिलाते हैं — और जनता फिर लौट जाती है उसी अंधेरे में जहाँ से आई थी।
ये सुनवाई नहीं, जनता की सहनशीलता की परीक्षा है! यहाँ हर फरियाद के पीछे है एक टूटी उम्मीद, हर आवेदन के नीचे है किसी की भूख, किसी का दर्द, किसी की लाचारी। लेकिन फाइलें बस आगे बढ़ती रहती हैं — “टिप्पणी हेतु प्रस्तुत” — “जांच में पाया गया उचित” — और हकीकत वहीं की वहीं!
क्या ये जन सुनवाई है या प्रशासन का ‘सेल्फी शो’? क्या जनता की पीड़ा सिर्फ फोटो फ्रेम में सजाने लायक रह गई है?
हर मंगलवार सुनवाई होती है — लेकिन सुनता कौन है? जनता की आवाज़ दब जाती है, और सरकारी बयान चमक उठते हैं। “संतुष्ट हैं?” पूछने से पहले ही आवेदन फाइल में बंद कर दिया जाता है। और फिर मीडिया रिपोर्ट में लिखा जाता है — ‘जन सुनवाई सफल रही’।
लेकिन सच्चाई यह है — सैकड़ों शिकायतें महीनों से लंबित हैं, कई आवेदक अब दोबारा ऑफिस आने की हिम्मत तक नहीं जुटा पाते। प्रशासन आंकड़े छिपा रहा है — क्योंकि अगर ये आंकड़े बाहर आ गए, तो जन सुनवाई की चमकदार तस्वीरें राख में बदल जाएंगी!
⚡ “जन सुनवाई नहीं, ये जनता की सुनवाई का ढोंग है!” ⚡ “यहाँ आवाज़ें दर्ज होती हैं — समाधान नहीं!” ⚡ “यहाँ जनता आती है — पर सुनी नहीं जाती!”
अब सवाल उठाना जनता का हक़ है — क्या प्रशासन खुद अपनी फाइलें खोलने की हिम्मत रखता है? क्या कोई अधिकारी सामने आकर बताएगा कि कितने आवेदन आज भी अधर में लटके हैं? या फिर अगली सुनवाई में भी वही होगा — चार फोटो, दो बयान और शून्य समाधान!
🔥 “जन सुनवाई बंद करो या जनता की सुनवाई शुरू करो!” 🔥
— रिपोर्ट : Stringer24News टीम
