क्या कोई प्राचीन से आधुनिक समय तक नरसिंहपुर जिले के इतिहास पर अच्छी किताबें सुझा सकता है?हमने इतिहास को आधुनिकता के साथ प्रस्तुत करने का एक प्रयास किया है।
अन्य बड़े शहरों महानगरों की तरह नरसिंहपुर जिले के इतिहास को आधिकारिक तौर पर इतना विस्तृत रूप से दर्ज नहीं किया गया है, जितनी कि इसकी आवश्यकता थी। आज भी हमारे पास कई आंशिक और टुकड़ों में नरसिंहपुर जिले का रिकॉर्ड हैं!
आपने भी यदि नरसिंहपुर में जन्म लिया है या कभी न कभी आप यहां रहें हैं तो आपने भी इस कमी को महसूस किया ही होगा! यदि ऐसा है तो यह किताब "मैं नरसिंहपुर बोल रहा हूं" पुस्तक प्रेमियों और प्राकृतिक इतिहास के प्रशंसकों के लिए एक बेहतरीन उपहार साबित होगी।यह पुस्तक इतिहास और अनुभव के व्यापक कैनवास पर आधारित है।
पुस्तक में कुछ ऐसे विवरण हैं जो एक सामान्य पाठक के ध्यान से बच सकते हैं, और फिर भी वे नरसिंहपुर जिले के सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक इतिहास का एक अनिवार्य हिस्सा हैं।
हम इस बात से सहमत हैं कि,हर कोई इतिहास जानने के बारे में उत्सुक नहीं होता, और। यह भी सत्य है कि हर कोई अपनी विरासत, वंश और जड़ों को महत्व नहीं देता।
क्यों कि अगर ऐसा होता, तो हमें आज लुप्त हो रहे सामुदायिक अनुभवों से नहीं जूझना पड़ता। जो कुछ भी बचा है, दुर्भाग्य से, वह अपने अंतिम चरण में है। किताब "मैं नरसिंहपुर बोल रहा हूं!" में अतीत से लेकर वर्तमान की ऐसी ही खट्टी मीठी घटनाओं को शामिल किया गया है,जो पुस्तक पढ़ने को रोचक बनाए रखता है।
जारी :
किताब में नोटबंदी के दौरान चिचली (गाडरवारा), कोरोना के दौरान बेदू(गोटेगांव),किसान आंदोलनों के दौरान सालीचौका के साथ ही, लाठगांव(गोटेगांव), बितली (चावर पाठा) और भी अन्य क्षेत्रीय*