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*खबरों में जिन लोगों का भंडाफोड़ किया, उनकी नाराजगी कई रूपों मे दिखाई देती है!*

एक पत्रकार से आपकी इच्छाएं अपेक्षित है।यह स्वाभाविक है और इससे पता चलता है की लोगों का भरोसा अब भी मीडिया पर कायम है।यह उन पत्रकारों के लिए गर्व की बात है जो तमाम दुश्वारियों के बावजूद पत्रकारिता के मूल्यों और दायित्वों का निर्वहन निष्ठापूर्वक कर रहे हैं।

नरसिंहपुर जिले की ही बात करें तो तकरीबन चार सौ पचास ग्राम पंचायतों के अंतर्गत ग्यारह सौ के लगभग गांव आते हैं,फिर भी हमने ग्रामीण जनता और स्थानीय पाठकों तक जमीन से जुड़ने के लिए पैदल यात्रा से लेकर साइकिल यात्रा की।अनेकों ग्रामों से गुजरे अनेकों ग्रामीणों से बात की। आज भी ऐसे बहुत से हिस्से हैं,जहां हम नही पहुंच पाए तो इसका क्या मतलब हुआ कि हम निष्पक्ष नही हैं?यह जानता को तय करना है की उसे कैसा मीडिया चाहिए, क्या आपको एक ही तरह की कॉपी पेस्ट वाली जानकारियां चाहिए?तो फिर ऐसी सूचनाएं आपको मुबारक हो।

हम संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं,इसलिए हर जगह हर मुद्दे और घटना को कवर कर पाना हमारे लिए संभव नहीं है।यदि किसी घटना को कवर नही कर पाए तो ट्रोल किया जाता है की, वहां क्यों नही गए या फिर अभी तक क्या कर रहे थे!लेकिन हर जगह पहुंच पाना इतना आसान नहीं है,पत्रकारिता के इस क्षेत्र में धन भी काफी खर्च होता है! हम जहां जा सकते हैं, वहां जाते हैं। मैं पत्रकार हूं,भगवान तो नही हूं

जहां तक मेरा मानना है कि लोग तथ्यों और तर्कों और डेटा को गंभीरता के साथ समझने में रुचि नहीं लेते हैं,उन्हे सिर्फ इससे मतलब है की आपने उक्त व्यक्ति के खिलाफ फलां रिपोर्ट बनाई,ऐसे लोगों को सच्चाई से कोई लेना देना नही है। उनके लिए आप बुरे पत्रकार हो!कैसी अजीब मानसिकता से लोग ग्रस्त हैं!पत्रकारों पर पहले की तुलना में बढ़ते खतरों पर विचार करना जरूरी है। 

क्या आपको वाकई इन बातों से कोई फर्क नही पड़ता है की, ऐसी चीजें पत्रकारों के जीवन को भी खतरे में डालती हैं, इसके कारण उनकी स्वतंत्र अभिव्यक्ति सीमित हो सकती है,यहां तक कि उन्हें मीडिया का पेशा छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है?

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, समाचार सेवा प्रदाता कंपनी के सोशल मीडिया अकाउंट को विधानसभा चुनावों के दौरान बारबार हैक/ब्लॉक/रिस्टेक्टेड किया गया।हमें ट्रोल किया गया और हमारे संस्थान को गहरे आर्थिक नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई।कितनी ही बार जान से मारने की धमकियां दी गई।वह भी सब इसलिए ताकि हमारा मनोबल टूट सके!पूरी कोशिश की गई की stringer24news सवाल करता है,इसे कैसे भी चुप करा दिया जाए।हमारे विज्ञापनों के भुगतान को बाधित करने के लिए भी कंपनी के अकाउंट को हैक करने का प्रयास किया गया।

हमें आर्थिक नुकसान पहुंचाया गया सिर्फ इसलिए ताकि हमारी खबरों को रोका जा सके,सच की आवाज को दबाया जा सके लेकिन इस दौरान ही हमें भरपूर जन समर्थन भी मिला।

समाचार सेवा प्रदाता कंपनी की टीम ने अपनी खबरों में जिन लोगों का भंडाफोड़ किया, उनकी नाराजगी कई रूपों मे दिखाई देती है,लेकिन इसका सकारात्मक असर यह हुआ कि आम जनता और पाठक वर्ग ऐसे समय में stringer24news के समर्थन में आए और हमें सपोर्ट किया।इसके बावजूद उन्हें सच उजागर करने के कारण ट्रोलिंग झेलनी पड़ती है। उन्हें कुछ लोगों के तर्कहीन और घटिया प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ता है।

उन्हे इस सच लिखने और बोलने की कीमत चुकानी पड़ती है। राजनितिक समर्थकों और अवैध कारोबारी और अपराधियों के समूह की नजर में ऐसे पत्रकार हमेशा निशाने पर रहते हैं।हमने अपने तीन साल के इस सेवाकाल के दौरान हर मुद्दे पर अपनी आवाज उठाई।अपराध हो या भ्रष्टाचार या फिर सामाजिक सरोकार के मुद्दे हमने खुलकर सच का 

साथ दिया।










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