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सासांकेतिक चित्र।

*अभय बानगात्री को धमकी और मोहन राजपूत पर हमला!: पत्रकारों पर दबंगों का प्रहार:नरसिंहपुर"

हाल ही में कुछ दिनों पूर्व ही ग्राम पंचायत बगासपुर में मोहन नामक पत्रकार पर दबंगों द्वारा घर में घुसकर मारपीट किए जाने की खबर सामने आई थी और इसके बाद नवलगांव हत्याकांड के मुद्दे को प्रमुखता से उठाने वाले नरसिंहपुर के अभय बानगात्री को फोन पर धमकी दिए जाने का मामला प्रकाश में आया है!

सोशल मीडिया पर मौजूद खबरों के मुताबिक, अभय को धमकी देने वाले ने कहा कि, गुरु जी की बहुत खबर लगा रहे हो!ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि ये गुरु जी हैं कौन?कहीं बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र शास्त्री का जिक्र तो नहीं किया जा रहा है? मामला गंभीर है और जांच के बाद ही मामले पर से पर्दा उठ सकेगा!

जहां एक तरफ सत्ता के चापलूसों, दलालों और वसूली कर्ताओं के सर कढ़ाई और हाथ घी में हैं। वहीं ग्राउंड रिपोर्टिंग करने वाले अपने जान जोखिम में डालकर जनता के सामने सच को खींच कर लाने की जद्दो जहद में उलझे हुए हैं।

हाल ही में अनेक ऐसी घटनाएं सामने आई हैं जब पत्रकारों को जान बूझकर निशाना बनाया गया।कभी जेल पहुंचाने की कोशिश तो कभी येन केन प्रकारेण रास्ते से हटा देने की कोशिश में ना जाने कितने पत्रकार सियासी शतरंज की बिसात पर बिछा दिए गए।

भ्रष्टाचार और अपराध पर रिपोर्टिंग करना किसी युद्ध की रिपोर्टिंग करने की तरह ही जोखिम भरा है।आलोचनाओं को दबाने और सूचनाओं को सीमित कर सच्चाई को दबाने के प्रयास में किसी की जान जाती है तो जाए, , तो, , क्या?

क्या हो अगर पत्रकारिता को दमन की चादर से ढक दिया जाए?तब सत्ता गर निरंकुश हो जाए तब लोकतंत्र समाप्त हो जाता है ऐसी स्थिति में लोकतंत्र पर तानाशाही विचारधारा के हावी होने के अंदेशे से भी नही बचा जा सकता है।

आज पत्रकार जिन हालात में काम कर रहे हैं वे बदतर होते जा रहे हैं।कब किसी की धार्मिक या राजनीतिक भावना आहत हो जाए कलम पर सरकारी फरमान की तलवार चल जाए, तब शक्ति और शतरंज का जो खेल खेला जाता है वह न सिर्फ पत्रकारिता की मूल भावना को आहत करता है बल्कि एक स्वस्थ लोकतंत्र की उम्मीद को भी धूमिल कर देता है।

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