।। विवेचना ।।
क्या गायों की मौत और बदहाली का कारण पर्याप्त दवा और पौष्टिक आहार का अभाव है?कभी घास के मैदानों पर घूमने वाली ये गायें अब कूड़े के ढेर के आसपास टलहती हैं। पहले ये घास खाकर पेट भरती थीं अब प्लास्टिक खाती हैं!
आपको बता दें की शान द्वारा संचालित गोशाला पर हर साल करोड़ों रुपए का खर्च होता है। इसके बावजूद अव्यवस्थाएं अब तक बरकरार हैं, जिसके कारण गायों की हालत खराब है।
गौशाला में हालात यह है कि गौमाता की देह से चमक जा चुकी है, हड्डियां दिखने लगीं है।
क्या आज गौशाला गायों का सामूहिक हत्या स्थल बनने की कगार पर पहुंच गई हैं?गायों के कमजोर शरीर उनकी दुर्दशा की हकीकत को बयान करते नजर आती है!
यह सब देखते हुए भी उपेक्षा कर रहे गौशाला के संचालक अमानवीयता की हदें पार कर चुके हैं।
ऐसा नहीं है कि ग्राम पंचायत बरहेटा से पहली बार गौशाला में गायों के मरने की खबर आ रही है इसके पूर्व भी मीडिया में इस प्रकार की खबरें आती रही हैं वहीं तेंदानी ग्राम पंचायत में भी गायों की दुर्दशा की खबर समाचारों में प्रमुखता से प्रकाशित की गई थी।
गौशालाओं में अमूमन उन गायों को रखा जाता है जिन्हें बूढ़ी होने या दुधारू नहीं रहने की वजह से उनके मालिक बेसहारा छोड़ देते हैं!
जिले में संचालित गौशालाओं की हक्कीत सरकार के दावों से कही से भी मेल नहीं खा रही है। यहां तक की उनके चारे-पानी को लेकर भी समस्याएं सामने आ रही है।हालांकि शासन प्रशासन गोपालन और संरक्षण को लेकर लगातार बड़े दावे करती रही है. लेकिन, जमीन स्तर पर गौ संरक्षण को लेकर सरकार की योजनाएं मानक के अनुरूप दिखाई नहीं दे रही हैं।
गुप्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक गौशालाओं में गैर-दुधारू गायों के साथ भेदभाव किया जाता है। उनके बछड़ों को भी बेच दिया जाता है।
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