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भड़काऊ पहनावे पर उत्तेजित?*

।। रविवारीय विशेषांक।।

*क्या नग्नता या अश्लीलता यौन उत्तेजना पैदा करती है?*

भारत के लगभग हर समुदाय में नैतिकता और अश्लीलता के अपने पैमाने है! भूगोलिय स्थितियों और सभ्यता के लिहाज से यह अलग अलग भी हो सकते हैं।

*भारतीय समाज में प्रचलित नैतिकता के सामान्य मानदंडों के अनुरूप शालीन पहनावे का असर व्यक्ति के व्यक्तित्व पर पड़ता है।

दरअसल समाज में एक आम धारणा है की,

महिलाओं का पहनावा ही अक्सर लोगों की दृष्टि,मन, वह दिलोदिमाग में सभ्य और असभ्यता का विचार उत्पन्न करता है।समाजिक नैतिकता के लिहाज से यह गलत दिखाई नही देता।ऐसे में आख़िर यह सवाल उठता है की,गलत क्या है,नजरिया या पहनावा?

तो आपको क्या लगता है कि अश्लील कपड़े हैं या नजर? जब हम यह सवाल लेकर पुरुषों के बीच पहुंचे तब सबके अपने अपने विचार थे, कई स्थानों पर इसे लेकर आपसी मतभेद भी दिखाई देता है।

मेरा मानना है की, सबसे पहले तो यहां यह मायने रखता है कि, कोई शरीर किस नीयत से नग्न है और उस शरीर को हम कैसे देख रहे हैं।ऐसी कोई भी चीज जो लोगों के दिमाग को दूषित और भ्रष्ट करे, उसे अश्लील कहा जाएगा।

इसे सिर्फ नारी की आजादी से जोड़कर देखना गलत होगा।आज भी महिलाओं के अडंरगारमेंट्स खासकर ब्रा को एक भड़काऊ और सेक्शुअल चीज की तरह देखा जाता रहा है।इसे लेकर समाज इतना असहज क्यों है?

हमने कुछ स्कूली छात्राओं से इस विषय पर चर्चा की,और लड़कियों ने बेबाकी के साथ अपने विचार रखे।इनमें से अधिकांश लड़कियों का मानना है कि,बलात्कार के लिए महिलाओं का पहनावा जिम्मेदार है,यह सोच बेहूदा है। छह माह की बच्ची से बलात्कार करने वाला आखिर बच्ची के कौन से भड़काऊ पहनावे पर उत्तेजित हो सकता है!बलात्कारी मानसिक रुग्णता का शिकार होता है, वहां पहनावा गौड़ है।

 टीवी पर आने वाले तमाम विज्ञापनों में महिलाओं को सेक्स की सामग्री के तौर पर दिखाया जाता है। नतीजतन आजकल की छोटी छोटी बच्चियां भी कम उम्र में हॉट दिखना चाहती है, सेक्सी कपड़े पहनना चाहती हैं।

एक बात साफ हैं कि ये अनावश्यक कामुकता से भरे हुए है। इस कड़ी में कुछ उत्पादों जैसे ब्रांडेड परफ्यूम, अंतर्वस्त्र , कंडोम के विज्ञापनों ने अश्लीलता को आसानी से हर घर में पहुंचा दिया है!

आप शायद यह उम्मीद कर सकते हैं कि महिला शरीर की छवियों का इस्तेमाल सौंदर्य उत्पादों या सौंदर्य प्रसाधनों के विज्ञापनों में किया जाएगा। लेकिन महिलाओं के शरीर का इस्तेमाल शराब से लेकर कार और घरेलू उपकरणों तक, बहुत ज़्यादा सामान बेचने के लिए किया जाता है!

आप आमतौर पर विज्ञापनों पर गौर करें तो पाएंगे कि,पुरुष उत्पादों के विज्ञापनों में महिला को बेहद ही निर्लज्ज तरीके से प्रस्तुत किया जाता है, मसलन आप किसी परफ्यूम का एड देखे तो उसमें महिला मॉडल ब्रांडेड परफ्यूम या अंडरवियर के कारण पुरुष का चेहरा चुंबन से भर देती है , यहां तक कि संभोग तक कर लेती है। ऐसे विज्ञापन सिखाते हैं कि सुंदर महिला उसी पुरुष को चाहेगी जिसके पास कीमती ब्रांडेड उपभोक्ता वस्तुएँ हैं?

अश्लीलता के दायरे में वो सब आता है जो स्वीकार्य नैतिकता और शालीनता के मानदंडों के लिहाज से अप्रिय, अपमानजनक या घृणित की श्रेणी में आ सकता है, लेकिन कानून के मामले में ये परिभाषित करना आसान है।










 


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